क्या मनेंद्रगढ़ नगर पालिका का चुनाव “जमींदार विरुद्ध आम आदमी” है । …

AA24.in exclusive राजनीति

नगरीय निकाय चुनाव किसी राजनैतिक पार्टी के सिद्धांतों विचारों के तहत नहीं बल्कि व्यक्तिगत छवि और स्थानीय मुद्दों को लेकर होते हैं ।

फेसबुक की पहुंच बहुत सीमित है इस पर नगरीय निकाय चुनाव के प्रत्याशियों की बात करना एक नादानी है फिर भी भारत की राजनीति चाय की दुकान , पान ठेलों से भी प्रभावित होती है वहां चर्चा के लिए फेसबुक एक स्त्रोत का कार्य तो कर ही सकता है ।

जिले की एकमात्र नगरपालिका है मनेंद्रगढ़ जो ओबीसी महिला के लिए आरक्षित है ।
यहां मुख्य मुकाबला निवर्तमान अध्यक्ष प्रभा पटेल और निवृतमान पार्षद प्रतिमा यादव के बीच है ।
आमतौर पर सड़कों में प्रत्याशियों के पक्ष में सड़कों पर जो प्रचार होता है आभाषी गुणों का बखान होता है ।
हम फेसबुक की आभाषी दुनिया में प्रत्याशियों के हिस्से का सच बताने की कोशिश करेंगे ।

१) प्रभा पटेल : समाज के सबसे अग्रणी और प्रभुत्वशाली वर्ग से आती हैं लेकिन पिछड़े होने का लाभ उन्हें मिलता है । उनका जन्म हवेली में हुआ । 2023 के विधानसभा प्रत्याशी जमींदार रमेश चंद्र सिंह इनके भाई हैं । सरगुजा महल की कृपा से 1993 में पहली बार नगर पालिका अध्यक्ष की कुर्सी पर आसीन हुईं मतलब आज से 31 वर्षों पूर्व भी अध्यक्ष की दावेदार थीं आज भी हैं ।अध्यक्ष के तीन कार्यकाल पूर्ण कर चुकी हैं पांचवीं बार प्रत्याशी हैं ।
2009 के बाद डॉक्टर चरण दास महंत की इन पर विशेष कृपा रही है । आरक्षण कोई भी इनकी टिकट तय होती है । 2015 के चुनावों में में कांग्रेस चाहकर भी इन्हें मुक्त सीट पर प्रत्याशी नहीं बना सकी क्योंकि शासन ने इन पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों को सही मानते हुए इनके चुनाव लड़ने पर लोग लगा दी थी ।
ये सजग नेत्री हैं किसी अन्य नेत्री के राजनैतिक उभार पर इनकी पैनी नजर होती है । क्षेत्र में इंदु सैनी रुक्मणि खोबरागने ज्योति मजूमदार शगुफ्ता बख्श राखी सिंह जैसे नामों की लंबी फेहरिस्त है जिन्हें जानबूझकर किनारे लगाया गया या इनके पर काटे गए इस कारण इनका कांग्रेस में फिलहाल कोई विकल्प फिलहाल नहीं है ।

2 ) प्रतिमा यादव : दो बार की पार्षद प्रतिमा समाज के निचले तबके से आती हैं पिछड़े वर्ग की महिला होने की तमाम अर्हता को पूर्ण करती हैं ।
इनके फादर इन लॉ की एक खोवे की दुकान हुआ करती थी जिसे इन्होंने स्टेशनरी की दुकान में तब्दील कर दिया है । आमतौर पर इन्हें इन्हें इसी दुकान को संभालते देखा जाता है ।
चूंकि अध्यक्ष का चुनाव लड़ने इनके पास पूंजी का आभाव है भाजपा द्वारा इन्हें प्रत्याशी बनाया जाना एक आश्चर्यजनक घटना है । इनके लिए चंदा इकठ्ठा किया जा रहा है शुभचिंतकों द्वारा योगदान दिया जा रहा है ।
इनकी राह में सबसे बड़ा रोड़ा शहर के वो सेठ हैं जो यथास्थितिवादी हैं जिन्हें परिवर्तन पसंद नहीं है ।

कुल मिलाकर मनेंद्रगढ़ नगरपालिका का यह चुनाव अमीर विरुद्ध गरीब है ।

जमींदार विरुद्ध आम आदमी है ।

सभी तक मेरी शुभकामनाएं पहुंचे ।

प्रकाश त्रिपाठी मनेंद्रगढ़

यह लेख प्रकाश त्रिपाठी जी का है, सोशल मीडिया पर एक्टिव रहते हैं और तात्कालिक टिप्पणी के लिए जाने जाते हैं।