जिला ब्यूरो रिपोर्ट
रतलाम/तो आखिरकार थप्पड़ कांड में रात दिन चिंता में ग्रस्त रहने वाले टिंगू जी को न्यायालय ने जमानत पर छोड़ दिया बताते हैं कि जिस दिन टिंगू जी जमानत के लिए खड़े हुए थे उस दिन उनके चेहरे की हवाइयां उड़ी हुई थी और टिंगू जी को जेल जाने का डर था लेकिन जैसे ही बैर के वा की ओर से आकर कहा कि कोई आपत्ति नहीं है और जमानत हो गई और टिंगू जी वापस बाहर आकर अपने आप को कानून का बहुत बड़ा ज्ञानी समझने लग गए और दौड़ पड़े खुद की खबर छपवाने वाले कार्यालय की ओर और खुद की तारीफों के पुल बांधते हुए खुद के थप्पड़ खाने का कांड खुद ही बताते हुए वहां पर अपने चीर परिचित अंदाज में सामने आ गए जिस बैर के वा ने प्रशासन की बात मानते हुए और टिंगू जी की मीठी गोली खाकर आपत्ति नहीं ली उस बैर के वा को तो टिंगू जी ने जमानत होते ही दूध में से मक्खी की तरह निकाल दिया और पूछा भी नहीं और खुद की बड़ी-बड़ी फॉक ने लग गए और एक खबर के माध्यम से तो टिंगू जी ने कह दिया कि प्रशासन घुटनों पर आ गया जबकि वह प्रशासन जो कि टिंगू जी के पक्ष लेते हुए दोनों का आपसी समझौता कर रहा था की टिंगू जी को जेल न जाना पड़े लेकिन टिंगू जी तो टिंगू जी हैं उन्होंने आज तक अपने पिताजी का एहसान नहीं माना जिनकी वजह से उन्होंने काला कोट पहना तो फिर प्रशासन और बैर के वा तो बहुत दूर की चीज है पर इस बार तो टिंगू जी आंसू बहा कर और मीठी बातें बनाकर बच गए लेकिन अभी रास्ते बहुत कठिन है अभी कई लोग यही कहते नजर आते हैं की टिंगू जी अपने व्यवहार से फिर कोई ना कोई कांड करेंगे पर इस बार इनकी बातों में कोई नहीं आएगा फिलहाल बैर के वा को भी अब आगे के लिए सोचना चाहिए कि ऐसे इंसान पर कभी विश्वास ना करें।
प्रशासन को सोचना चाहिए कि एक ऐसा व्यक्ति जिस पर की यह तीसरा प्रकरण दर्ज हुआ ऐसे को ऐसी जगह पर नहीं बिठाना चाहिए जो की बहुत ही ज्यादा विवाद की जड़ हो।
खबर का तीखा असर, आशिक आवारा की समुद्र किनारे से आई बड़ी खबर
तो आखिर कार हमारी खबरों का असर नमकीन वाले शहर और स्वच्छ रहने वाले शहर तक ही सीमित नहीं रहा हमारे पास समुद्र किनारे से आशिक आवारा जी की एक बड़ी खबर आई अपना नाम ना लिखवाने की शर्त पर एक काले कोट वाले साहब ने आशिक आवारा जी की ईमानदारी का पूरा सच बताया की कितनी ईमानदारी से आशिक आवारा जी ने विजिलेंस में रहते हुए काम किया करते थे , आशिक आवारा जी ने सूरत ,अहमदाबाद और बडौदा जैसे कई बड़े जगह पर काले कोट वाले तथा पार्सल वालों के कैस बनाए खबर देने वाले पीड़ित बताते हैं की आशिक आवारा जी इतने ईमानदार थे की केस को खत्म करने का या उसमें से बचने का रास्ता बताने का एक लाख तक लेते थे साथ में यह भी शर्त रहती थी कि उन्हें और भी खबरें दी जाए ताकि वह कैस बना सके मतलब उन व्यक्तियों को आशिक आवारा जी का मुखबिर बनना पड़ता था फिलहाल विजिलेंस से जब आशिक आवारा जी वापस आ गए तब पता चला है की भोपाल के चार इमली वाले बंगले पर अलग-अलग जगह के आठ काले कोटवालों ने एक समिति बनाकर आशिक आवारा जी के लिए दरवाजे खटखटाया हैं तथा इन सब पैसों से जो आशिक आवारा जी ने अपने चीर परिचित लोगों के नाम पर अवैध संपत्ति जमा करी है इसकी शिकायत कर रहे हैं तथा चार इमली वाले कार्यालय में दस्तक दे रहे हैं
फिलहाल अगर अलग-अलग जगह के आठ लोगों की जो टीम बनी है और आशिक आवारा जी की अवैध तरीके से कमाए हुए पैसों से जो अवैध संपत्ति ली है उसके पीछे लगी हुई है और भोपाल के चार इमली वाले बंगले पर डटकर शिकायत कर रही है अगर उसमें जांच हुई तो आशिक आवारा जी ने विजिलेंस में रहते हुए जिनके लिए समस्या खड़ी करी थी वह खुद उनके लिए बड़ी समस्या बन जाएंगे।