डॉक्टर विनय जायसवाल सत्ता पक्ष से 5 वर्ष विधायक रहे ।
उनकी धर्मपत्नी 5 वर्षों तक महापौर रहीं ।
पूरी चिरमिरी ने इन दोनों के कार्यकाल और भर्राशाही को देखा है । अब पूर्व विधायक महापौर प्रत्याशी बन बैठे हैं ।
ये सिलसिला कभी खत्म नहीं होगा । उनके पैसे के सामने न कोई राजनीति है न दौड़ न सामाजिक समीकरण ।
वो पैसे दिखाकर टिकट लाते रहेंगे प्रत्यासी बनते रहेंगे ।
फिर बलदेव दास जैसे लोगों का क्या होगा जिनके पास पूंजी नहीं है ??
हममें से अधिकांश बलदेव दास की ही तरह हैं क्या हमें महापौर / अध्यक्ष बनने का हक नहीं है ??
चिरमिरी की फिक्र करने का सारा ठेका एक परिवार ने क्यों ले रखा है ??
मैं निर्दलीय महापौर प्रत्यासी बलदेव दादा के साथ हूं ।
हमारी लड़ाई पूंजीवादी वर्चस्व के विरुद्ध है आम आदमी के हक में है ।
हम लड़ेंगे परिणामों की परवाह किए बिना ।
घर_घर_में_सेव_जीतेगा_बलदेव
यह लेख / विचार, प्रकाश त्रिपाठी जी का है, सोशल मीडिया पर एक्टिव रहते हैं और तात्कालिक टिप्पणी के लिए जाने जाते हैं।