सूरजपुर । जिले में तेजी से पनप रहे गुड़ उद्योगों को लेकर अब प्रशासन सख्त रुख अपनाता नजर आ रहा है। विगत दिनों प्रकाशित खबरों को गंभीरता से संज्ञान में लेते हुए कलेक्टर सूरजपुर ने जिले के समस्त गुड़ उद्योग संचालकों से शासन द्वारा निर्धारित प्रारूप में 31 दिसंबर तक विस्तृत जानकारी तलब की है। इस कार्रवाई के बाद यह साफ होने की उम्मीद है कि जिले में संचालित गुड़ उद्योग वास्तव में नियम-कायदों के दायरे में हैं या फिर राजनीतिक संरक्षण के सहारे मनमानी का खेल खेला जा रहा है।
बिना शासन के तय मापदंडों को पूरा किए उद्योगों का संचालन अपने आप में कई गंभीर सवाल खड़े करता है। खासकर प्रदूषण नियंत्रण, लाइसेंस, मंडी नियम और किसानों से गन्ना खरीदी की प्रक्रिया को लेकर लंबे समय से शिकायतें सामने आती रही हैं। अब कलेक्टर की इस पहल से पूरे सिस्टम की परतें खुलने की संभावना जताई जा रही है।
शक्कर कारखाना खुलने से पहले किसानों का होता था शोषण
क्षेत्र में शक्कर कारखाना खुलने से पहले भी किसान गन्ने की खेती करते थे, लेकिन उस दौर में गुड़ उद्योगों द्वारा किसानों से शासन के निर्धारित रेट से बेहद कम दामों पर गन्ना खरीदा जाता था। किसानों की इस मजबूरी को देखते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के प्रयासों से शक्कर कारखाने की स्थापना हुई। इसके बाद गन्ना किसानों की स्थिति में बड़ा बदलाव आया और उन्हें अपनी फसल का उचित मूल्य मिलने लगा। यही कारण है कि आज क्षेत्र में आर्थिक समृद्धि का आधार गन्ना फसल बनी हुई है।
बिना मंडी शुल्क दूसरे राज्यों में गन्ना सप्लाई
जिले में गन्ना दलालों का मनोबल इस कदर बढ़ चुका है कि खुलेआम किसानों के खेत से अच्छी गुणवत्ता का गन्ना बिना मंडी शुल्क चुकाए अन्य राज्यों, खासकर कलकत्ता, भेजा जा रहा है। इससे शासन को भारी राजस्व नुकसान हो रहा है। दूसरी ओर खेत में छोड़ा गया घटिया गन्ना किसान मजबूरी में कारखाने को भेजते हैं, जिससे रिकवरी कम होती है और किसानों को अप्रत्यक्ष आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। तीन वर्ष पूर्व जब प्रशासन ने सख्ती दिखाई थी, तब किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य और प्रोत्साहन राशि के साथ रिकवरी कमीशन तक मिला था।
कलेक्टर ने किया शक्कर कारखाने का औचक निरीक्षण
कलेक्टर सूरजपुर, जो वर्तमान में शक्कर कारखाने के प्रशासक भी हैं, ने हाल ही में कारखाने में गन्ना खरीदी व्यवस्था का औचक निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने गन्ना यार्ड में किसानों से संवाद किया, अलाव सहित अन्य व्यवस्थाओं का जायजा लिया और गन्ना वाहन एंट्री रजिस्टर का अवलोकन किया। कलेक्टर ने सीजन भर इसी तरह की व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश प्रबंधन को दिए।
निरीक्षण के दौरान एसडीएम प्रतापपुर ललिता भगत, तहसीलदार चंद्रशीला जायसवाल, प्रबंध संचालक आकाशदीप पात्रे, सीसीडीओ प्रमोद चौहान,चीफ केमिस्ट मनोज पाड़ी, मुख्य अभियंता सुनील तिवारी सहित अन्य अधिकारी व कर्मचारी उपस्थित रहे।अब निगाहें 31 दिसंबर के बाद प्रशासन की अगली कार्रवाई पर टिकी हैं, जो तय करेगी कि जिले में गुड़ उद्योग नियमों के तहत चलेंगे या नहीं।
शक्कर कारखाने की मजबूती से ही विकास संभव
अर्थशास्त्र की दृष्टि से शक्कर कारखाना आज गन्ना फसल का सबसे बड़ा और स्थायी बाजार है। इसी बाजार के कारण बाहरी व्यापारी और स्थानीय गुड़ उद्योग संचालक भी मजबूरी में किसानों को उचित दाम देने को बाध्य हैं। यदि यह व्यवस्था कमजोर पड़ती है तो सबसे बड़ा नुकसान किसानों को ही उठाना पड़ेगा।
31 दिसंबर के बाद क्या?
अब सबसे अहम सवाल यह है कि 31 दिसंबर के बाद प्रशासन क्या कदम उठाता है। क्या शासन के तय मापदंडों का सख्ती से पालन कराया जाएगा या फिर जनता को दोबारा प्रदूषणयुक्त और जहरीले वातावरण में जीने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। यह आने वाला समय ही बताएगा।

