भरत शर्मा की रिपोर्ट
रतलाम। रतलाम प्रेस क्लब और विश्व संवाद केन्द्र के संयुक्त तत्वावधान में शनिवार को नारद जयंती के उपलक्ष्य पर व्याख्यान का आयोजन किया गया।कई राष्ट्रीय चैनलों में वरिष्ठ पत्रकार, लोकसभा टीवी दिल्ली के प्रधान सम्पादक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विवि भोपाल के विभागाध्यक्ष रहे और वर्तमान में प्रोडक्शन, सम्बद्ध अध्य्यन संस्थाएं एवं रेडियो कर्मवीर डॉ. आशीष जोशी मुख्य वक्ता रहे। राष्ट्रचिंतन और समाज निर्माण में पत्रकारिता की भूमिका -नारदीय परंपरा से आज तक विषय पर मुख्य वक्ता ने धारदार तरीके विचार रखे।
आयोजन में रतलाम प्रेस क्लब अध्यक्ष मुकेशपुरी गोस्वामी और सचिव यश शर्मा बंटी मंचासीन रहे। अतिथियों ने मुनि श्री नारद के चित्र पर माल्यार्पण और पूजन कर कार्यक्रम की शुरुआत की। इस दौरान रतलाम प्रेस क्लब के उपाध्यक्ष सुजीत उपाध्याय, सौरभ कोठारी, कोषाध्यक्ष नीरज शुक्ला, सह सचिव हेमंत भट्ट, कार्यकारिणी के वरिष्ठ सदस्य दिनेश दवे, किशोर जोशी, शुभ दशोत्तर, निलेश बाफना, विनोद वाधवा, धरम वर्मा, वरिष्ठ पत्रकार शरद जोशी, रमेश टांक, दिलीप पाटनी, राजेश मूणत, सुरेंद्र जैन, नरेंद्र जोशी, विजय मीणा आदि ने क्लब और रतलाम के समस्त पत्रकारों की ओर से डुपट्टा और पुष्पहार से डॉ. जोशी का स्वागत किया।
नारद और गणेश से लेनी चाहिए प्रेरणा
अपने उद्बोधन में डॉ जोशी ने कहा कि हमारी परंपरा में आदि पत्रकार देवऋषी नारद को माना जाता है क्योंकि उन्होंने हमेशा संचार और संवाद लोक कल्याण के लिए ही किया। डॉ. जोशी ने कहा कि आज के दौर में पत्रकारों को केवल नारद ही नहीं बल्कि भगवान श्री गणेश से भी प्रेरणा लिखनी चाहिए। ऋषी वेद व्यास ने जैसा देखा और कहा वैसा ही भगवान श्री गणेश ने लिखा। उन्होंने कहीं भी अपने विचार, अपना हित या इच्छा को लेखनी में नहीं आने दिया। आज भारत और पाकिस्तान के बीच जब तनाव की स्थिति है तब हमारी पत्रकारिता और भी गंभीर होनी चाहिए। कई चैनलों, यू-ट्यूब चैनलों पर जिस तरह की पत्रकारिता हुई है वह लोकहित कारी बिल्कुल भी नहीं है। उन्होंने समााया कि कैसे वैश्विक स्तर पर केवल बाजारवाद हावी है। फार्मासुटिकल कंपनियां हो, खेती की दवाईयां बनाने वाली कंपनियां हों, हथियार या उसकी तकनीक बनाने वाली कंपनियां हों ये सभी अपने हिसाब से सोशल मीडिया माध्यमों से फेक नेरेटिव तैयार करती हैं।
पत्रकारों की भूमिका सबसे अहम
जानबूा कर देश की युवा पीढ़ी के सामने इतिहास को, संस्कृति को, तथ्यों को तोड़ कर पेश किया जाता है। ऐसे ाूठे भय प्रसारित करवाए जाते हैं जिससे उनके उत्पाद बिकें। परिवार तोड़े जाते हैं ताकि जहां एक उत्पाद की जरूरत थी, वहां चार उत्पाद बेंचे जा सकें। ऐसी में पत्रकारों की भूमिका बहुत अहम हो जाती है। हमें बाजार वाद में टूल की तरह इस्तेमाल न हों इसका ध्यान रखना चाहिए। आजकर सूचाओं की तो बाढ़ आ रही है। पत्रकारों को यह तय करना है कि क्या नहीं प्रसारित करना है। यह अहम है कि देश की एकता, अखंडता को कोई नुकसान न हो। उन्होंने प्रशंसा करते हुए कहा कि रतलाम के पत्रकारों और पत्रकारिता की दिशा हमेशा सकारात्मक रही है। आज भी छोटे शहरों से जो पत्रकारिता हो रही है वह बाजारवाद के फेक नेरेटिव से दूर हैं।
आजादी से आज तक जगा रहे अलख
रतलाम प्रेस क्लब के अध्यक्ष गोस्वामी ने कहा कि रतलाम में पत्रकारिता की धरा सदा उर्वर रही है। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान गोपाल सिंह नेपाली जैसे पत्रकारों ने रतलाम की धरा से अखबार निकालकर आजादी के लिए अलख जगाई। देश की पहली महिला पत्रकार हेमंत कुमारी चौधरी ने रतलाम में रहकर अपनी पत्रिका सुग्रहणि निकाली और पूरे देश में महिला पत्रकारिता की शुरुआत की। रतलाम की धरा से आज भी पत्रकार व्यावसायिकता के तमाम दबावों के बावजूद देश, समाज, लोककल्याण के लिए कलम चलाते हैं। कार्यक्रम के अंत में आभार मानते हुए संस्था के कोषाध्यक्ष नीरज शुक्ला ने कहा कि बड़े शहरों में रहकर ऐसी पत्रकारिता करने वाले देश की वास्तविक समस्याएं नहीं जानते हैं। परंतु आयोजन के मुख्य वक्ता डॉ. जोशी हमारे बीच से निकलकर शीर्ष तक पंहुचे हैं इसलिए वे हमें और हमारी परेशानियों को भलिभांति समाते हैं। संचालन अदिति मिश्रा ने किया।
ये रहे मौजूद
आरिफ कुरैशी, तुषार कोठारी, भेरूलाल टांक, संजय पाठक, असीमराज पाण्ड्ेय, राजेश पुरोहित, विवेक बाफना, साजिद खान, मुबारिक शेरानी, समीर खान, राकेश पोरवाल, विवेकानंद चौधरी, जयदीप गुर्जर, नारायण चौधरी, महेश पुरोहित, प्रकाश कुमावत, गोवर्धन चौहान, विवेक मल्होत्रा, विश्व संवाद केंद्र के सुरेंद्र सिंह, पत्रकार और विश्व संवाद केंद्र के पदाधिकारी, कार्यकर्ता आदि मौजूद रहे।