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वर्ष के अंतिम लोक अदालत में सूरजपुर जिले ने रचा नया कीर्तिमान, 75,775 मामले हुए निराकृत, 10.40 करोड़ का मिला अवार्ड

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सूरजपुर। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, नई दिल्ली और छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, बिलासपुर के मार्गदर्शन में जिले में आयोजित वर्ष 2025 की अंतिम राष्ट्रीय लोक अदालत ने नया कीर्तिमान रचा। प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश व जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की अध्यक्ष श्रीमती विनीता वार्नर के कुशल नेतृत्व में यह आयोजन अभूतपूर्व सफल रहा, जिसमें हजारों पक्षकारों को त्वरित न्याय मिला।लोक अदालत का दायरा जिला एवं सत्र न्यायालय से कुटुंब न्यायालय, तालुका न्यायालय प्रतापपुर, बाल न्यायालय और सभी राजस्व न्यायालयों तक फैला। इसका मकसद लंबित मामलों को आपसी सहमति से सुलझाकर न्याय प्रक्रिया को सरल व सुलभ बनाना था।  IMG 20251215 WA0002

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     शुभारंभ प्रधान जिला एवं सत्र न्यायालय के कोर्ट रूम में द्वीप प्रज्वलन से हुआ, जहां न्यायिक अधिकारी, वरिष्ठ अधिवक्ता, कर्मचारीगण व बैंक, नगरपालिका, विद्युत विभाग जैसे सरकारी प्रतिनिधि मौजूद रहे।त्वरित न्याय के लिए 32 खंडपीठों का गठन किया गया, जिन्होंने सिविल वाद, मोटर दुर्घटना दावा, पारिवारिक विवाद, पुराने राजस्व मामले, बैंक ऋण व बिजली-जल बिलों के प्री-लिटिगेशन मामलों पर सुनवाई की। दोनों पक्षों के बीच सौहार्दपूर्ण समाधान पर जोर दिया गया। कुल मिलाकर यह आयोजन न केवल लंबित मामलों की संख्या घटाने में मील का पत्थर साबित हुआ, बल्कि सामाजिक सद्भाव को मजबूत करने का माध्यम भी। जिला प्रशासन ने इसे भविष्य के लिए प्रेरणा बताया।

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सामाजिक कल्याण की मिसाल: दिव्यांगों को सहारा, स्वास्थ्य जांच शिविर

      लोक अदालत ने कानूनी मामलों के साथ समाज कल्याण पर भी फोकस किया। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण व समाज कल्याण विभाग के सहयोग से चार दिव्यांगों को सहायक उपकरण वितरित किए गए-दो ट्राई-साइकिल, एक 12 वर्षीय बच्ची को श्रवण यंत्र और एक बच्ची को एमआर किट। ये प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश व जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की अध्यक्ष श्रीमती विनीता वार्नर के हाथों प्रदान की गईं, जो उनके जीवन को आसान बनाएंगी। साथ ही, स्वास्थ्य जांच शिविर में आमजन व पक्षकारों ने निःशुल्क जांच का लाभ उठाया।

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आंकड़ों में सफलता: 75,775 मामले निराकृत, 10.40 करोड़ का अवार्ड

    जिले में गठित 32 खंडपीठों ने समस्त न्यायालयों से 2,785 लंबित व 82,265 प्री-लिटिगेशन प्रकरणों पर विचार किया। आपसी समझौते से 75,775 मामलों का सफल निराकरण हुआ, जिसमें 10,40,19,394 रुपये का अवार्ड पारित किया गया। इससे हजारों पक्षकार लाभान्वित हुए, जो न्यायिक प्रक्रिया की गति का प्रतीक है।

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