Chirmiri Jal Sankat : मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल की चुप्पी पर उठे सवाल

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Chirmiri Jal Sankat: मंत्री, निगम या सिस्टम – असली जिम्मेदार कौन?

छत्तीसगढ़ के चिरमिरी क्षेत्र में पेयजल संकट लगातार गहराता जा रहा है और इसके बीच स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल की चुप्पी पर अब जनता सवाल उठाने लगी है। पानी जैसी बुनियादी ज़रूरत को लेकर बीजेपी शासित नगर निगम और प्रशासन की नाकामी अब खुलकर सामने आ रही है।

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हाल ही में पूर्व विधायक विनय जायसवाल ने क्षेत्रीय प्रबंधक के बंगले का नल काटकर एक कड़ा संदेश दिया—”जब जनता प्यास से तड़प रही है तो जिम्मेदार लोग चैन से कैसे पानी पी सकते हैं?”

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हालाँकि इस कदम को कुछ लोगों ने विवादास्पद बताया, लेकिन कई लोगों ने इसे एक साहसिक प्रतीकात्मक आंदोलन माना, जो जनता की आवाज़ को बुलंद करने का प्रयास था।


मंत्री जी की खामोशी क्यों?

वर्तमान विधायक और मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल के कार्यकाल में चिरमिरी का जल संकट और अधिक गहरा हुआ है। ना तो उन्होंने निगम पर दबाव बनाया और ना ही PHE विभाग से जवाबदेही तय करवाई।
ट्रिपल इंजन सरकार (राज्य, केंद्र, निगम—all बीजेपी) होने के बावजूद पानी सप्लाई ठप है। फिर प्रशासन पर दबाव क्यों नहीं?


बीजेपी शासित नगर निगम की नाकामी

बीजेपी के नेतृत्व वाली चिरमिरी नगर निगम नियमित और शुद्ध पेयजल देने में पूरी तरह विफल रही है।
टैंकरों की कमी और प्राकृतिक स्रोतों पर लंबी कतारों ने लोगों की परेशानी बढ़ा दी है।
खदानों से बहने वाला पानी यदि संग्रहित कर लिया जाए, तो चिरमिरी की प्यास बुझ सकती है। मगर भ्रष्टाचार और अव्यवस्था हर समाधान को बेकार बना रहे हैं।


क्या ₹185 करोड़ की योजना से मिलेगी राहत?

श्याम बिहारी जायसवाल के प्रयासों से अमृत मिशन के तहत चिरमिरी के लिए ₹185 करोड़ की योजना को मंजूरी मिली है, जिसका उद्देश्य हर घर तक पाइप से शुद्ध पेयजल पहुंचाना है।

लेकिन जनता के मन में सवाल है —
“क्या यह योजना धरातल पर ईमानदारी से लागू होगी?”
या फिर यह भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़कर सिर्फ कागजों तक सिमट जाएगी?


जनता का आक्रोश – स्थानीय प्रतिक्रिया

के. डोमारू रेड्डी (पूर्व महापौर, चिरमिरी) कहते हैं:

“हमारे पास पुराने और नए दोनों फिल्टर प्लांट हैं, लेकिन फिर भी लोग बरसात में भी पानी को तरस रहे हैं। यह पूरी तरह से प्रशासनिक नाकामी है।”

सुनील कुमार (स्वतंत्र पत्रकार) का कहना है:

“बरसात के मौसम में भी लोग 5-6 दिन पानी का इंतजार कर रहे हैं, और जब आता है तो 10-15 मिनट के लिए वो भी गंदा पानी। इससे संक्रमण और बीमारियां तेजी से फैल रही हैं।”


विनय जायसवाल की याद क्यों आ रही है?

विनय जायसवाल का ‘नल काटो आंदोलन’ आज एक प्रतीक बन गया है—जनता की आवाज़ बुलंद करने का प्रतीक।
वहीं, मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल की चुप्पी जनता को निराश कर रही है।


अब भी सवाल वही है: जल संकट का असली जिम्मेदार कौन?

क्या यह मंत्री की नाकामी है, निगम की असफलता, या सिस्टम में बैठे भ्रष्ट तत्वों की मिलीभगत?
₹185 करोड़ की योजना ने उम्मीद तो जगाई है, मगर अब जनता सिर्फ वादों से नहीं, परिणामों से जवाब चाहती है।

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