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“हमारा सोना, हमारा देश, हमारी नियति!” – इब्राहिम त्राओरे की साहसिक हुंकार

"हमारा सोना, हमारा देश, हमारी नियति!" - इब्राहिम त्राओरे की साहसिक हुंकार

मॉस्को में बुरकिना फासो के राष्ट्रपति ने पश्चिमी साम्राज्यवाद को दी खुली चुनौती

मॉस्को, 31 मई 2025: बुरकिना फासो के 37 वर्षीय राष्ट्रपति कैप्टन इब्राहिम त्राओरे ने मॉस्को में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ मुलाकात के दौरान एक जोरदार स्पीच दी, जिसने वैश्विक ध्यान खींचा। त्राओरे ने पश्चिमी देशों और उनकी मीडिया पर तीखा हमला बोलते हुए कहा, "आज का आतंकवाद साम्राज्यवादी नीतियों का परिणाम है। पश्चिम हमें आतंकवादी कहता है, लेकिन असली आतंक उनकी नीतियों से पैदा होता है।"

उन्होंने बुरकिना फासो के सोने के संसाधनों पर विदेशी कंपनियों के शोषण की आलोचना की और देश की आत्मनिर्भरता पर जोर दिया। त्राओरे ने कहा, "हमारा सोना अब विदेशी तिजोरियों में नहीं जाएगा। यह बुरकिना के लोगों का है।" उनकी इस स्पीच को अफ्रीकी युवाओं और पैन-अफ्रीकन समर्थकों ने खूब सराहा, और यह सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है।

त्राओरे ने रूस के साथ मजबूत साझेदारी की वकालत की और फ्रांस जैसे पश्चिमी देशों के प्रभाव को खारिज किया। उनकी यह स्पीच अफ्रीका में नव-औपनिवेशिक विरोध की भावना को और मजबूत करती है। हालांकि, उनकी नीतियों और सैन्य शासन की कुछ हलकों में आलोचना भी हो रही है, लेकिन त्राओरे की स्पष्टवादिता ने उन्हें वैश्विक मंच पर एक साहसी नेता के रूप में स्थापित किया है।

इब्राहिम त्राओरे मॉस्को स्पीच 2025

इब्राहिम त्राओरे मॉस्को में रूस-अफ्रीका शिखर सम्मेलन (2025) में पश्चिमी साम्राज्यवाद के खिलाफ बोलते हुए। (सौजन्य: गेटी इमेजेज)

लेखक: विद्यानंद ठाकुर

Admin
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हैडलाइन:मॉस्को में बुरकिना फासो के राष्ट्रपति ने पश्चिमी साम्राज्यवाद को दी खुली चुनौती

न्यूज़ आर्टिकल:मॉस्को, 31 मई 2025: बुरकिना फासो के 37 वर्षीय राष्ट्रपति कैप्टन इब्राहिम त्राओरे ने मॉस्को में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ मुलाकात के दौरान एक जोरदार स्पीच दी, जिसने वैश्विक ध्यान खींचा। त्राओरे ने पश्चिमी देशों और उनकी मीडिया पर तीखा हमला बोलते हुए कहा, “आज का आतंकवाद साम्राज्यवादी नीतियों का परिणाम है।

पश्चिम हमें आतंकवादी कहता है, लेकिन असली आतंक उनकी नीतियों से पैदा होता है।”उन्होंने बुरकिना फासो के सोने के संसाधनों पर विदेशी कंपनियों के शोषण की आलोचना की और देश की आत्मनिर्भरता पर जोर दिया। त्राओरे ने कहा, “हमारा सोना अब विदेशी तिजोरियों में नहीं जाएगा। यह बुरकिना के लोगों का है।”

उनकी इस स्पीच को अफ्रीकी युवाओं और पैन-अफ्रीकन समर्थकों ने खूब सराहा, और यह सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है।त्राओरे ने रूस के साथ मजबूत साझेदारी की वकालत की और फ्रांस जैसे पश्चिमी देशों के प्रभाव को खारिज किया।

उनकी यह स्पीच अफ्रीका में नव-औपनिवेशिक विरोध की भावना को और मजबूत करती है। हालांकि, उनकी नीतियों और सैन्य शासन की कुछ हलकों में आलोचना भी हो रही है, लेकिन त्राओरे की स्पष्टवादिता ने उन्हें वैश्विक मंच पर एक साहसी नेता के रूप में स्थापित किया है।लेखक: विद्यानंद ठाकुर

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