MP News; पूर्व मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस तथा बेलवाल के खिलाफ 500 करोड़ का घोटाला,प्रकरण दर्ज : पूर्व विधायक सकलेचा ने की थी शिकायत

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भरत शर्मा की रिपोर्ट

पोषण आहार सहित अन्य योजना में भारी भ्रष्टाचार

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भोपाल/मध्यप्रदेश पूर्व मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस तथा आजीविका मिशन के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी ललित मोहन बेलवाल के खिलाफ लोकायुक्त ने पूर्व विधायक पारस सकलेचा की शिकायत पर जांच प्रकरण दर्ज किया ।

पूर्व विधायक पारस सकलेचा ने 28 अगस्त 2023 को पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह , राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा , डॉक्टर गोविंद सिंह आदि नेताओं के साथ लोकायुक्त में शिकायत दर्ज की थी कि बैंस तथा बेलवाल ने पोषण आहार तथा अन्य योजनाओं में वर्ष 2018-19 से 2021-22 के 4 वर्षों में मात्र 8 जिलों में 500 करोड़ का भ्रष्टाचार किया , जिसका उल्लेख ऑडिटर जनरल ने मार्च 2025 में विधानसभा में प्रस्तुत अपनी रिपोर्ट में भी किया ।

सकलेचा ने कहा कि इकबाल सिंह बैंस ने पंचायत विभाग के अपने कार्यकाल में 2017 में अपने चहेते बेलवाल को वन विभाग से प्रतिनियुक्ति पर लाकर आजिविका मिशन का सीईओ बना दिया । दोनों ने षडयंत्र पूर्वक पोषण आहार बनाने वाली सातों फैक्ट्री का कार्य एग्रो इंडस्ट्री कॉरपोरेशन से लेकर आजिविका मिशन को दे दिया ।

दिसंबर 2018 में कमलनाथ सरकार बनने पर आजिविका मिशन में घोटाले को देखते हुए सातों फैक्ट्री का कार्य पुनः एग्रो इंडस्ट्रीज कारपोरेशन को दे दिया गया । 23 मार्च 2020 को पुनः शिवराज सरकार के आने पर दूसरे दिन ही इकबाल सिंह बैंस को मुख्य सचिव बना दिया गया तथा बैंस ने जून 2020 में 2018 में सेवानिवृत्ति ललित मोहन बेलवाल को एक वर्ष के लिए कांट्रेक्ट बेसिस पर आजिविका मिशन का पुनः मुख्य कार्यकारी अधिकारी बना दिया । जिसपर पंचायत विभाग के तत्कालीन एसीएस मनोज श्रीवास्तव की आपत्ति को भी दरकिनार कर दिया गया । बेलवाल की नियुक्ति पर वरिष्ठ आईएएस अधिकारी राधेश्याम जुलानिया ने भी आपत्ति ली थी।

बेलवाल की नियुक्ति के तत्काल बाद पोषण आहार बनाने वाली सातों फैक्ट्री का कार्य एग्रो इंडस्टरीज कॉरपोरेशन से लेकर आजिविका मिशन को दे दिया गया ।

सकलेचा ने कहा कि आडिटर जनरल ने 2018-19 से 2021-22 के 4 वर्षों में आठ जिलों की जांच में ₹ 481.79 करोड़ का घोटाला पाया । जिसका प्रतिवेदन मार्च 2025 में विधानसभा के पटल पर रखा गया ।

सकलेचा ने कहा कि 2018 से 2021 तक पोषण आहार मे वितरण , परिवहन एवं गुणवत्ता के संबंध में बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार किया गया । जिसकी पुष्टि ऑडिटर जनरल की रिपोर्ट से होती है ।

सकलेचा ने कहा कि घोटाले का स्वरूप इतना विशाल है कि , ऑडिटर जनरल को दी गई रिपोर्ट में महिला बाल विकास ने बताया कि पोषण आहार घोटाले को लेकर 73 अधिकारियों को कारण बताओ सूचना पत्र जारी किए गए , 36 अधिकारियों के विरुद्ध विभागीय जांच संस्थित की गई , 11 अधिकारियों के विरुद्ध दंडादेश जारी हुए , 9 वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई तथा तीन सेवानिवृत अधिकारियों के प्रकरण अनुशासनात्मक कार्रवाई हेतु शासन को भेजे गए ।

सकलेचा ने अपने आवेदन में कहा कि इकबाल सिंह बैंस के कार्यकाल में ललित मोहन बेलवाल द्वारा नियुक्ति में घोटाले की आईएएस अधिकारी नेहा मरव्या द्वारा की गई जांच में शासकीय दस्तावेज तथा नोटशीट में छेड़छाड़, तथा आर्थिक अनियमितता के प्रमाण के बाद भी बेलवाल पर कोई कार्रवाई नहीं की गई और इसके विपरीत इकबाल सिंह बैंस द्वारा नेहा मरव्या का‌ डेड लाइन में तबादला कर उन्हें मानसिक प्रताड़ना दी गई ।

इकबाल सिंह बैंस के कार्यकाल में 26 आईएएस अधिकारियों को इसलिए साइड लाइन में कर दिया गया कि उन्होंन उनके चहेतो के भ्रष्टाचार को सरंक्षण नहीं दिया ।

मई 2020 से जनवरी 2023 तक महिला बाल विकास के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी रहे , अशोक शाह को जो 31 जनवरी 2023 को सेवा निवृत्त हो गए थे , बेलवाल द्वारा किए गए करोड़ों की आर्थिक अनियमितता , भ्रष्टाचार तथा घोटाले को दबाने के उपहार स्वरूप 50 वर्ष पुरानी संस्था , चीफ टेक्निकल परीक्षण विजिलेंस ( CTE ) को खत्म कर नई संस्था एमपी वर्क क्वालिटी कंट्रोल (MPWQC) बनाकर उसका डायरेक्टर जनरल 2 अप्रैल 2023 को बना दिया ।

सकलेचा ने कहा कि पोषण आहार में आठ जिलों की जांच में ऑडिटर जनरल ने लगभग 500 करोड़ का घोटाला मात्र 4 वर्षों में पाया यदि 52 जिलों की जांच की गई तो यह घोटाला इससे कई गुना बड़ा निकलेगा ।

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