रायपुर, 30 अक्टूबर 2025 — छत्तीसगढ़ के जशपुर ज़िले के आदिवासी युवाओं ने भारतीय पर्वतारोहण के इतिहास में नया अध्याय जोड़ दिया है। हिमाचल प्रदेश की दूहंगन घाटी (मनाली) स्थित 5,340 मीटर ऊँची जगतसुख पीक पर इन युवाओं ने एक नया आल्पाइन रूट खोला है, जिसे मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की पहल के सम्मान में “विष्णु देव रूट” नाम दिया गया है।
टीम ने यह कठिन चढ़ाई बेस कैंप से केवल 12 घंटे में पूरी की — बिना किसी फिक्स रोप या सपोर्ट स्टाफ के, यानी शुद्ध आल्पाइन शैली में।
यह ऐतिहासिक अभियान सितंबर 2025 में जशपुर प्रशासन और पहाड़ी बकरा एडवेंचर के सहयोग से हुआ। इस दल के पाँचों पर्वतारोही पहली बार हिमालय पहुँचे थे। सभी ने “देशदेखा क्लाइम्बिंग एरिया” में प्रशिक्षण प्राप्त किया — जो भारत का पहला प्राकृतिक एडवेंचर प्रशिक्षण केंद्र है।
इस प्रशिक्षण को विशेषज्ञ स्वप्निल राचेलवार, डेव गेट्स (USA) और सागर दुबे ने मिलकर तैयार किया। दो महीने की कठिन तैयारी और बारह दिनों के अभ्यास पर्वतारोहण के बाद टीम ने यह असंभव सी लगने वाली चढ़ाई संभव की।
अभियान प्रमुख स्वप्निल राचेलवार ने बताया कि रास्ते में ग्लेशियर की दरारें, खराब मौसम और सीमित दृश्यता जैसी चुनौतियाँ थीं, पर टीम ने हिम्मत नहीं हारी।
स्पेन के पर्वतारोही और पूर्व वर्ल्ड कप कोच टोती वेल्स ने इस उपलब्धि को “भारतीय युवाओं की असाधारण क्षमता का प्रमाण” बताया।
दल ने “विष्णु देव रूट” के अलावा सात नई क्लाइम्बिंग रूट्स भी खोलीं। इनमें 5,350 मीटर ऊँची एक अनक्लाइम्ब्ड चोटी पर चढ़ाई कर उसे ‘छुपा रुस्तम पीक’ नाम दिया गया, जबकि उसके मार्ग को ‘कुर्कुमा (Curcuma)’ कहा गया — जो हल्दी के वैज्ञानिक नाम से प्रेरित है।
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने कहा, “भारत का भविष्य गाँवों से निकलकर दुनिया की ऊँचाइयों तक पहुँच सकता है। जशपुर ने यह साबित किया है।”
अब जशपुर को सतत एडवेंचर एवं इको-टूरिज़्म केंद्र के रूप में विकसित करने की दिशा में कार्य तेज़ी से आगे बढ़ रहा है।
 
							 
		 
		 
		 
			
 
		 
		 
		 
		 
		 
		 
		 
		 
		 
		 
		 
		 
		 
		 
		