मुझे याद है
हमारे बचपन के खेलों की सबसे तेज
सबसे सांवली, सबसे चमकदार
सबसे ज्यादा हंसने वाली लड़की
जिसकी देह से जाड़े भर
ताजे पुआल की गंध आती थी
वह बताती थी कि
जाड़े में जब कुहासे हर तरफ से
सूरज भगवान को घेर लेते हैं
तो वे पुआल में जाकर ही छुपते हैं
इसलिए भर जाड़ा वह
पुआल पर ही सोती थी
पुआल ही ओढ़ती थी
गांव के खेत-खलिहान में
पुआल के ढेर पर खेलना उसे प्रिय था
उस बात के जमाने बीत गए लेकिन
आज भी घने कुहासे में जब
सूरज का कहीं अता-पता नहीं होता
तो उस लड़की की देह से आती
पुआल की गंध मेरी सांसों में घुल जाती है
पता नहीं कि अबतक बूढ़ी हो चुकी
उस लड़की को यकीन हो कि न हो
पुआल में छुपने वाले सूरज के किस्से पर
मुझे यकीन है
उस सांवली, चमकदार लड़की की हंसी में
जरूर छुपा होता था कोई न कोई सूरज।

ध्रुव गुप्त जी के फेसबुक वाल से साभार
फोटो _ Arun Misra
