दिल्ली: 1 सितंबर, रविवार का दिन था। घर की शांति को चीरती फोन की घंटी बजी। दिल्ली-एनसीआर में रहने वाली 48 वर्षीय कारोबारी ने बिना ध्यान दिए फोन उठाया। इस अनजानी कॉल ने जैसे इस महिला की जिंदगी ही बदल दी। सामने से आई आवाज ने बताया कि अगले 5 दिनों तक उनकी हर गतिविधि पर नजर रखी जाएगी। वह अब हमारी रडार पर हैं। इसने तो जैसे उस महिला के अंदर उथल-पुथल मचा दी। महिला से 5 दिन के 5 करोड़ मांगे गए थे।
आज की दुनिया में एडवांस होती तकनीक और हर जगह एआई के प्रभाव के बीच डिजिटल अरेस्ट एक बड़ा चैलेंज बनकर उभरा है। खुद पीएम मोदी ने भी पिछले महीने मन की बात कार्यक्रम में भी इस चीज का जिक्र कर बचने के लिए मंत्र दिए थे। आइए आपको इस महिला की पूरी कहानी बताते हैं, जिसे सुनकर आप भी कभी ऐसी गलती करने से पहले 100 बार सोचेंगे।
दूसरी तरफ से फोन करने वाले शख्स ने धाराप्रवाह अंग्रेजी बोलते हुए खुद को एक DHL कर्मचारी के रूप में पेश किया। शख्स ने बताया कि मुंबई से बीजिंग भेजे जा रहे एक पैकेज को बॉम्बे कस्टम ऑफिस ने रोका है,उसमें MDMA था। महिला ने कहा कि मुझे पता भी नहीं था कि MDMA क्या होता है। मैंने उस आदमी से कहा कि मैंने ऐसा कोई पैकेट नहीं भेजा है। DHL कर्मचारी ने कहा कि विद्या (नाम बदल दिया गया है) को अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए मुंबई के कस्टम ऑफिस आना होगा। सतर्क होकर, उसने उस आदमी से उसके कर्मचारी का नंबर मांगा। महिला ने आप बीती सुनाते हुए कहा कि शख्स ने वो नंबर इतने आत्मविश्वास से दिया कि पहली बार मुझे लगा कि यह एक गंभीर स्थिति है।
अगले कुछ घंटों में पीड़ित महिला एक के बाद कई लोगों से फोन पर बात करती गई। पहले वाले ने खुद को एक कांस्टेबल बताया और उसे लॉग इन करने के लिए एक माइक्रोसॉफ्ट स्काइप आईडी और पासवर्ड दिया। कांस्टेबल के पीछे, एक इंटरकॉम में खड़खड़ाहट हुई, कहा-उसके नाम पर गिरफ्तारी वारंट है। जैसे ही विद्या घबराई, उसे अपने मामले की व्याख्या करने के लिए एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के पास भेजा गया।