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नक्सली हमले में पैर खोया, लेकिन हौसला नहीं—बस्तर ओलंपिक में चमके वीर किशन कुमार हप्का…

नक्सली हमले में एक पैर खोया, पर हौसला नहीं। बस्तर ओलंपिक में तीरंदाजी के संभाग स्तर पर पहला स्थान हासिल कर चमके किशन कुमार हप्का।#Inspiration #BastarOlympic

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तीरंदाजी में संभाग स्तरीय प्रतियोगिता में पहला स्थान हासिल कर किया कमाल

रायपुर, 12 दिसंबर 2025

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बीजापुर जिले के भैरमगढ़ क्षेत्र के छोटे से गांव छोटे तुमदार के 27 वर्षीय किशन कुमार हप्का ने अदम्य साहस का परिचय देते हुए साबित कर दिया कि सच्ची जीत शरीर से नहीं, हौसले से होती है। कभी डीआरजी के जांबाज़ जवान रहे किशन वर्ष 18 जुलाई 2024 को नक्सलियों द्वारा लगाई गई आईईडी विस्फोट में अपना एक पैर खो बैठे थे। हादसा इतना भयावह था कि किसी भी सामान्य व्यक्ति की दुनिया ही बिखर जाए, मगर किशन ने हार नहीं मानी।

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शारीरिक चोट ने उनके कदम रोके जरूर, लेकिन भीतर जल रही ज्वाला और देश सेवा का जुनून पहले जैसा ही प्रबल रहा। इसी हौसले ने उन्हें दोबारा मैदान में लौटने की प्रेरणा दी। किशन ने बस्तर ओलंपिक में तीरंदाजी को अपना नया लक्ष्य बनाया और कड़ी मेहनत से जिला स्तरीय प्रतियोगिता में चयनित होकर संभाग स्तरीय प्रतियोगिता में पहला स्थान प्राप्त कर इतिहास रच दिया।

एक समय ऐसा भी आया जब उन्होंने जीवन से उम्मीद लगभग छोड़ दी थी, लेकिन उनके भीतर का खिलाड़ी पराजय स्वीकारने को तैयार नहीं था। किशन अपने कोच दुर्गेश प्रताप सिंह को अपनी सबसे बड़ी प्रेरणा मानते हैं। वे कहते हैं—

“कोच दुर्गेश ने मुझे सिर्फ खेल नहीं सिखाया, बल्कि यह भी समझाया कि अपंगता शरीर की होती है, मन की नहीं।”

दूरस्थ गांव से निकलकर आज किशन पूरे बस्तर में प्रेरणा बन चुके हैं। उनका संघर्ष हजारों युवाओं को यह संदेश देता है कि चुनौतियाँ चाहे कितनी भी बड़ी क्यों न हों, हौसले का कद हमेशा उससे ऊँचा होना चाहिए। उनकी यह उपलब्धि न सिर्फ परिवार, बल्कि पूरे बीजापुर जिले के लिए गर्व का पल है।

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