भरत शर्मा की रिपोर्ट
1890 करोड़ की वसूली फिर भी घाटा दिखाकर 81 करोड़ का अनुदान लिया
भोपाल/प्रदेश की टोल रोड पर लागत से कई गुना टोल वसूली , अधिकारियों और निवेशक की मिली भगत से निवेदक को बेजा लाभ देने , हजारों करोड़ में सड़कों के दो-दो तीन-तीन बार बिक जाने के बाद भी उसमे घाटा दिखाने, तथा अवधि 9 माह से लेकर 5 वर्ष तक बढ़ाने पर पूर्व विधायक पारस सकलेचा ने सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं ।
सकलेचा ने बताया कि देवास भोपाल टोल रोड निविदा 426.64 करोड़ की निकाली गई थी , शासन की मिलीभगत से योजना में हानि के नाम पर 81 करोड़ का अनुदान दिया गया । वास्तविक लागत 345.64 करोड़ हो गई तथा जून 2025 तक 1889.51 करोड़ की वसूली की गई जो लागत का 564.67% है । छः गुना लाभ के बाद भी यह कंपनी सरकार को ₹1 का भी प्रीमियम नहीं देती , क्योंकि अनुबंध की धारा 22 में अधिकारियों की मिली भगत से लिखा गया है कि अगर घाटे के लिए अनुदान मिला है तो प्रीमियम नहीं लिया जाएगा ।
सकलेचा ने कहां की जनता का दुर्भाग्य है की इस सड़क की टोल अवधि 258 दिन भी बढ़ा दी गई । अब दिसंबर 2033 तक टोल वसूला जाएगा ।
देवास भोपाल टोल रोड पर निवेशक जून 2025 तक घाट दिखा रहा है । लेकिन इस कंपनी की ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार 2017 में ऑपरेटिंग प्रॉफिट 41.28 करोड़ , वर्ष 2024 में बढ़कर 194.82 करोड़ हो गया तथा 2017 में प्रति इक्विटी शेयर (10₹)आय 1641.04 रुपए से बढ़कर 2024 मे 10474.79 रुपए हो गई । कंपनी भारी लाभ में होने पर इनकम टैक्स के नियमानुसार कंपनी का 2017 में 12.42 लाख सीएसआर फण्ड 2024 में 14 गुना बढ़कर 1.66 करोड़ हो गया ।
प्रदेश की अन्य सड़को की बात करें तो जावरा नयागांव टोल रोड* की लागत 425.71 करोड़ है । जून 2025 तक 2450.02 करोड़ वसूले गये जो लागत का 575.51% है । तथा 2033 तक टोल वसूला जाएगा ।
*लेबड जावरा टोल रोड़* की
लागत 589.31 करोड़ है । इसके ऐवज में जून 2025 तक 2182.8 करोड़ वसुले गये , जो लागत का 370.4% है । इस सड़क पर योजना में हानि बता कर अधिकारियों की मिली भगत से इसकी अवधि 5 साल बढा दी गई । इस रोड पर दिस 2038 तक टोल वसूला जाएगा । यह रोड भी दो बार हजारों करोड़ में बिक चुकी है ।
महालेखाकार (केग) ने अपनी 2015-16 की रिपोर्ट में टोल रोड पर वसूली को लेकर कई गंभीर बाते कही है । कैग द्वारा कहाँ गया है की निवेशक द्वारा बताई गई टोल आय के सत्यापन के लिए अनुबंध में विशिष्ट परिच्छेद (chapter) नहीं रखा गया । प्रतिदिन टोल आय राजस्व का सत्यापन करने संबंधित दस्तावेज दर्ज नहीं किए गए । टोल आय का सत्यापन करने के लिए एस्र्को Escrow खातों की निगरानी नहीं की गई ।
केंद्र सरकार द्वारा जारी मॉडल कंसेशन अनुबंध के विपरीत अधिकारियों ने निवेशक के मन माफिक अनुबंध बनाए । भोपाल देवास ,जावरा नयागांव , तथा लेबड जावरा टाल रोड के अनुबंध मात्र 50 दिन के अंतर से बने । लेकिन तीनों अनुबंध में जमीन और आसमान का अंतर है । जबकि केंद्र सरकार को जो रिपोर्ट भेजी गई थी , उसमें लिखा गया था कि अनुबंध केंद्र द्वारा जारी मॉडल कंसेशन एग्रीमेंट के अनुसार बनाए गए हैं और इसमें कोई मेजर चेंज नहीं किया गया है ।
भोपाल देवास का अनुबंध 30 जून 2007 को , जावरा नयागांव का उसके 50 दिन बाद 20 अगस्त 2007 को , तथा लेबड जावरा का अनुबंध उसके 10 दिन बाद 30 अगस्त 2007 को बनाया । शासन ने विधानसभा में स्वीकार किया के तीनों अनुबंध पृथक पृथक है ।
केंद्र सरकार के आर्थिक कार्य विभाग की जून 2006 की बैठक के में राज्यों को स्पष्ट निर्देश दिया गया था कि मॉडल कंसेशन अनुबंध में विचलन उन मुद्दों के संबंध में स्वीकार नहीं है जो किसी पीपीपी योजना के लिए आधारभूत है । उसके बाद भी ठेकेदार को लाभ दिलाने के लिए इन तीनों अनुबंध में ठेकेदार के मन माफिक परिवर्तन कर उनकी टोल अवधि 25 से 30 साल तय कर दी गई जबकि वास्तव में 10 से 15 साल होना थी ।
केंद्र सरकार ने यहां तक स्पष्ट निर्देश दिया था कि कंसेशन देने के प्रकाशन और निर्धारण की प्रक्रिया में समान व्यवहार , पारदर्शिता और पारस्परिक मान्यता के मूल सिद्धांतों का पालन किया जाना चाहिए । लेकिन उसके बाद भी तीनों टोल रोड की भौगोलिक स्थिति तथा लागत लगभग समान होने के बाद भी , केंद्र सरकार के निर्देशों का पालन नहीं किया गया । सकलेचा ने आरोप लगाया कि अधिकारी जनता के हितों का संरक्षण करने के स्थान पर निवेशक के एजेंट की तरह काम कर रहे हैं ।
भोपाल देवास, जावरा नयागांव तथा लेबड जावरा मार्ग पर
जून 2022 तक टोल कलेक्शन 1200.51 ,1745.00 तथा 1552.27 करोड़ था
जून 2025 तक कलेक्शन इन तीनों रोड पर क्रमशः 1889.51, 2450.02 तथा 2182.80 करोड़ हो गया
भोपाल देवास रोड की लागत 345 करोड, जून 22 से जून 25 तक, 3 साल में कलेक्शन 689 करोड़ , औसत प्रतिवर्ष 230 करोड़,
जावरा नयागांव रोड की लागत 425 करोड़ , जून 22 से जून 25 तक , 3 साल में वसूली 705 करोड़, औसत प्रतिवर्ष 235 करोड़
लेबड जावरा रोड की लागत 589 करोड़ , जून 22 से जून 25 तक , 3 साल में वसूली 630 करोड़ , औसत प्रतिवर्ष 210 करोड़