छत्तीसगढ़ में जनविश्वास विधेयक पारित: छोटी गलतियों पर अब आपराधिक मुकदमा नहीं, सिर्फ जुर्माना

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विकसित छत्तीसगढ़ की दिशा में ऐतिहासिक कदम: मुख्यमंत्री विष्णु देव साय

 8 अधिनियमों के 163 प्रावधानों में संशोधन, व्यापार और जीवन को आसान बनाने पर जोर

मध्य प्रदेश के बाद छत्तीसगढ़ देश का दूसरा राज्य, जिसने पारित किया जनविश्वास विधेयक

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रायपुर, 18 जुलाई 2025: छत्तीसगढ़ विधानसभा ने आज एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए जनविश्वास विधेयक 2025 को ध्वनिमत से पारित कर दिया। यह विधेयक राज्य में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस और ईज ऑफ लिविंग को बढ़ावा देने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित होगा। इसका मुख्य उद्देश्य ब्रिटिश काल के उन पुराने कानूनों को संशोधित करना है, जो छोटी-मोटी त्रुटियों को भी आपराधिक कृत्य मानते थे। इस बदलाव से व्यापारियों और आम नागरिकों को अनावश्यक कानूनी कार्रवाइयों से राहत मिलेगी।

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मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने इसे विकसित भारत-विकसित छत्तीसगढ़ के विजन को साकार करने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम बताया। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लागू भारतीय न्याय संहिता की तर्ज पर यह विधेयक तैयार किया गया है। मध्य प्रदेश के बाद छत्तीसगढ़ देश का दूसरा राज्य है, जिसने इस तरह का सुधारवादी कानून पारित किया है।”

क्या है जनविश्वास विधेयक?

यह विधेयक छोटे-मोटे तकनीकी उल्लंघनों को आपराधिक श्रेणी से हटाकर प्रशासनिक जुर्माने के दायरे में लाता है। इससे न केवल अदालतों पर बोझ कम होगा, बल्कि नागरिकों और उद्यमियों को छोटी गलतियों के लिए आपराधिक मुकदमों का सामना नहीं करना पड़ेगा। विधेयक में  8 अधिनियमों के 163 प्रावधानों में संशोधन किया गया है, जिनमें नगरीय प्रशासन विभाग, नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम, सोसायटी रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, छत्तीसगढ़ औद्योगिक संबंध अधिनियम, और छत्तीसगढ़ सहकारिता सोसायटी अधिनियम शामिल हैं।

प्रमुख बदलाव और उनके लाभ

1. आबकारी अधिनियम में संशोधन 

– सार्वजनिक स्थानों पर शराब के उपभोग के पहले उल्लंघन पर अब केवल जुर्माना लगेगा।

– पुनरावृत्ति की स्थिति में जुर्माना और कारावास का प्रावधान।

2. नगरीय प्रशासन विभाग

मकान मालिक द्वारा किराया वृद्धि की सूचना न देने पर पहले आपराधिक मामला दर्ज होता था। अब इसकी जगह अधिकतम 1,000 रुपये का जुर्माना लगेगा।

3. सहकारी समितियों के लिए राहत

सोसायटी द्वारा वार्षिक प्रतिवेदन दाखिल करने में देरी पर आपराधिक कार्रवाई के बजाय अब **नाममात्र का आर्थिक दंड

विशेष रूप से महिला समूहों के लिए दंड को और कम किया गया।  

4. सहकारी शब्द का दुरुपयोग

यदि कोई संस्था गलती से “सहकारी” शब्द का उपयोग करती है, तो आपराधिक मुकदमे के बजाय केवल प्रशासनिक जुर्माना लगेगा।

क्यों है यह विधेयक महत्वपूर्ण?

व्यवसाय को बढ़ावा उद्यमियों को नियामकीय सूचनाओं में देरी जैसे छोटे उल्लंघनों के लिए आपराधिक मुकदमों से मुक्ति।

न्यायिक बोझ में कमी

छोटे मामलों में मुकदमेबाजी कम होने से अदालतों पर दबाव घटेगा।

संवेदनशील और व्यावहारिक नीति

यह विधेयक दंड के बजाय सुधार और सहयोग पर केंद्रित है।

मुख्यमंत्री का दृष्टिकोण

मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा, “यह विधेयक न केवल व्यापारियों, बल्कि आम नागरिकों के लिए भी राहतकारी है। हमारा लक्ष्य एक ऐसा वातावरण तैयार करना है, जो व्यवसाय के लिए सुगम और नागरिकों के लिए जिम्मेदारीपूर्ण हो।”

छत्तीसगढ़ की उपलब्धि

मध्य प्रदेश के बाद छत्तीसगढ़ देश का दूसरा राज्य बन गया है, जिसने जनविश्वास विधेयक लागू किया। यह कदम राज्य को निवेश और विकास के लिए और आकर्षक बनाएगा, साथ ही नागरिकों के जीवन को आसान करेगा।

इस विधेयक के पारित होने से छत्तीसगढ़ ने विकसित भारत के सपने को साकार करने की दिशा में एक और कदम बढ़ाया है।

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