तीन बांग्लादेशी नागरिकों को आईपीसी और विदेशी अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत दोषी ठहराया गया है. आरोपियों पर 5 साल कैद के साथ 2 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है. मुंबई की एनआईए कोर्ट ने इस मामले (RC-01/2018/NIA/MUM) में अब तक कुल पांच आरोपियों को दोषी ठहराया जा चुका है. इससे पहले
अक्टूबर 2023 में रिपेन हुसैन उर्फ रुबेल और मोहम्मद हसन अली मोहम्मद आमिर अली को भी पांच साल कैद की सजा सुनाई गई थी. यह मामला सबसे पहले मार्च 2018 में पुणे पुलिस द्वारा दर्ज किया गया था. पुलिस को जानकारी मिली थी कि पुणे में कई बांग्लादेशी नागरिक अवैध रूप से रह रहे हैं।
पुलिस को जानकारी मिली कि ये एबीटी के सदस्यों को लॉजिस्टिक मुहैया कर मदद और शरण दे रहे हैं. पुलिस ने महाराष्ट्र के पुणे स्थित धोबीघाट, भैरोबा नाला इलाके से हबीब को पकड़ा था. बाद में कुल पांच बांग्लादेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया गया. मई 2018 में एनआईए ने मामले की जांच अपने हाथ में ली.
जांच में पता चला कि गिरफ्तार बांग्लादेशी नागरिक भारत में अवैध रूप से घुसपैठ करके आए थे. उन्होंने फर्जी दस्तावेजों के जरिए पैन कार्ड, आधार कार्ड, वोटर आईडी और राशन कार्ड जैसे फर्जी भारतीय पहचान पत्र मुहैया करवाए गए. इन दस्तावेजों का इस्तेमाल वे सिम कार्ड लेने, बैंक खाते खोलने और भारत में नौकरी पाने के लिए कर रहे थे. एनआईए की जांच में यह भी खुलासा हुआ कि आरोपियों ने एबीटी के कई सदस्यों, जिनमें एक मुख्य सदस्य समद मिया उर्फ तनवीर उर्फ सैफुल उर्फ तुषार बिस्वास शामिल था, इसको शरण और फाइनेंशियली मदद दी।