नई दिल्ली: देश के पूर्व चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने रिटायर हो चुके जजों को राजनीति में शामिल होने से मना किया है। उनका मानना है कि रिटायरमेंट के बाद भी जजों को कानून का रखवाला माना जाता है। इसलिए उन्हें ऐसा कुछ भी नहीं करना चाहिए जिससे न्यायिक प्रणाली की निष्पक्षता पर सवाल उठे।एक टीवी चैनल के कॉन्क्लेव में बोलते हुए जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि समाज रिटायरमेंट के बाद भी जजों को जज के रूप में ही देखता है। इसलिए समाज उनसे वही उम्मीदें रखता है जो एक जज से होती हैं। भले ही वे पद पर न हों। उन्होंने कहा कि समाज आपको पद छोड़ने के बाद भी एक जज के रूप में देखता है। इसलिए, जो चीजें आम नागरिकों के लिए ठीक हैं, समाज को उम्मीद है कि जजों के लिए ठीक नहीं होंगी, भले ही वे पद पर न हों।
जस्टिस चंद्रचूड़ ने दो साल तक देश के मुख्य न्यायाधीश के रूप में काम किया। इस महीने की शुरुआत में वो रिटायर हुए हैं। उन्होंने कहा कि यह हर जज को खुद तय करना है कि रिटायरमेंट के बाद उनके फैसले उनके जज के रूप में किए गए काम को कैसे प्रभावित करेंगे। अगर कोई जज रिटायरमेंट के तुरंत बाद राजनीति में शामिल होता है, तो इससे यह धारणा बन सकती है कि उसका न्यायिक कार्य उसकी राजनीति से प्रभावित था। उन्होंने कहा कि यह हर जज को तय करना है कि सेवानिवृत्ति के बाद उनका कोई फैसला उनके द्वारा जज के रूप में किए गए काम को कैसे प्रभावित करेगा। अगर कोई जज रिटायरमेंट के तुरंत बाद राजनीति में शामिल होता है, तो इससे यह धारणा बन सकती है कि उसका न्यायिक कार्य किस हद तक उसके द्वारा अपनाई गई राजनीति से प्रभावित था।