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छत्तीसगढ़/सूरजपुर:प्रतापपुर–राजपुर सड़क निर्माण में 84 करोड़ की परियोजना पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप, सड़क बनते ही उखड़ने लगी; उच्च स्तरीय जांच के निर्देश…

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सूरजपुर। जिले के प्रतापपुर से राजपुर मार्ग पर पीडब्ल्यूडी द्वारा कराए जा रहे सड़क एवं नाली निर्माण कार्य में भारी अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप सामने आए हैं। करोड़ों रुपये की लागत से चल रही यह महत्वाकांक्षी परियोजना अब घटिया निर्माण, नियमों की अनदेखी और सरकारी धन के दुरुपयोग का उदाहरण बनती जा रही है।

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भाजपा मंडल अध्यक्ष मुकेश तायल ने निर्माण कार्य की गुणवत्ता पर सवाल उठाते हुए कहा कि सड़क अभी पूरी भी नहीं हुई है, जबकि पिछले 4–5 वर्षों से निर्माण कार्य चल रहा है। हैरानी की बात यह है कि कई स्थानों पर सड़क बनते ही उखड़ने लगी है और बीच-बीच में केवल पेंच रिपेयरिंग कर औपचारिकता निभाई जा रही है। इससे करीब 84 करोड़ रुपये की इस परियोजना की वास्तविक स्थिति पर गंभीर संदेह पैदा हो गया है।

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स्थानीय लोगों का आरोप है कि निर्माण स्थल पर विभागीय इंजीनियरों और अधिकारियों की नियमित मौजूदगी नहीं रहती, जिससे ठेकेदार मनमानी कर रहा है। पीडब्ल्यूडी के नियमों के अनुसार अनिवार्य तकनीकी निरीक्षण, गुणवत्ता परीक्षण और कार्य डायरी का पालन नहीं किया जा रहा, जो सीधे तौर पर नियमों का उल्लंघन है।

मानकों की अनदेखी, भविष्य में बड़ा खतरा

स्थानीय तकनीकी जानकारों के अनुसार नालियों और सड़क निर्माण में सरिया का उपयोग बेहद कम किया गया है, वहीं जहां किया गया है वहां स्पेसिंग मानकों से अधिक है। कंक्रीट मिश्रण भी असंतुलित बताया जा रहा है, जिससे सड़क और नालियों की मजबूती पर सवाल खड़े हो गए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह का निर्माण कुछ ही महीनों में क्षतिग्रस्त हो सकता है, जिससे जलभराव, गड्ढे और दुर्घटनाओं की आशंका बढ़ेगी।

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छोटी पुलिया का कार्य अधूरा, जलनिकासी संकट

राजपुर रोड के कई हिस्सों में प्रस्तावित छोटी पुलिया का निर्माण अब तक शुरू नहीं हो पाया है। इनके अभाव में वर्षा जल की समुचित निकासी संभव नहीं होगी, जिससे सड़क किनारे कटाव, धंसाव और बरसात के मौसम में गंभीर जलभराव की स्थिति बन सकती है।

जनता में आक्रोश, जांच की मांग

लगातार वर्षों से अधूरे और घटिया निर्माण को लेकर स्थानीय नागरिकों, जनप्रतिनिधियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं में भारी आक्रोश है। उन्होंने मांग की है कि पूरे प्रोजेक्ट की स्वतंत्र तकनीकी ऑडिट कराई जाए तथा ठेकेदार, सुपरवाइजर और जिम्मेदार विभागीय अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई हो।

प्रशासन का बयान

इस मामले में एसडीएम ललिता भगत ने कहा कि विभागीय अधिकारियों से जवाब तलब किया जाएगा और निर्माण कार्य की जांच के आदेश दिए जाएंगे। उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि गुणवत्ता मानकों में कमी पाई जाती है तो संबंधितों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

प्रतापपुर–राजपुर सड़क निर्माण का यह मामला एक बार फिर साबित करता है कि भ्रष्टाचार केवल धन की बर्बादी नहीं, बल्कि आम नागरिकों की सुरक्षा और भविष्य के साथ सीधा खिलवाड़ है। यदि समय रहते सख्त कदम नहीं उठाए गए, तो यह परियोजना प्रशासनिक विफलता की बड़ी मिसाल बन सकती है।

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