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सर्जरी का दर्द, जिंदगी का अंत! पूर्व सैनिक की पत्नी की मौत पर डॉक्टरों की लापरवाही का सनसनीखेज आरोप,

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रायपुर, 27 अक्टूबर 2025

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एक ‘साधारण’ गर्भाशय उच्छेदन सर्जरी ने एक परिवार को हमेशा के लिए तोड़ दिया। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के देवेंद्र नगर स्थित श्री नारायणा हॉस्पिटल में पूर्व सैनिक एस. देवराजू की पत्नी की मौत हो गई। देवराजू ने अस्पताल प्रशासन और स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. संजना खेमका अग्रवाल पर गंभीर चिकित्सीय लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा, “डॉक्टरों की अनदेखी ने मेरी जिंदगी छीन ली। अगर समय पर जांच होती, तो मेरी पत्नी आज हमारे साथ होतीं।” यह मामला मेडिकल सिस्टम की पोल खोलने वाला है, जहां एक छोटी सी चूक ने पूरे परिवार को बर्बाद कर दिया।

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घटनाक्रम: सर्जरी से सेप्सिस तक का दर्दनाक सफर

देवराजू ने अपनी प्रेस विज्ञप्ति में विस्तार से घटनाओं का जिक्र किया है। उनकी पत्नी को 5 अक्टूबर को श्री नारायणा हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। दो दिन बाद, 7 अक्टूबर को डॉ. संजना खेमका अग्रवाल द्वारा हिस्टेरेक्टॉमी (गर्भाशय उच्छेदन) की सर्जरी की गई, जिसे डॉक्टरों ने ‘सफल’ बताया। लेकिन खुशी ज्यादा देर टिकी नहीं। 9 अक्टूबर से ही मरीज को तेज पेट दर्द, सूजन और पसीना आने की शिकायतें शुरू हो गईं। परिजनों के बार-बार अनुरोध के बावजूद डॉक्टरों ने इसे ‘सामान्य गैस की समस्या’ करार देकर हल्की दवाओं से टालते रहे।

देवराजू का दावा है कि 10 से 12 अक्टूबर तक मरीज की हालत लगातार बिगड़ती चली गई, लेकिन न तो कोई बेसिक जांच हुई, न ही एक्स-रे या सीटी स्कैन कराया गया। सबसे गंभीर आरोप यह है कि सर्जन डॉ. खेमका इस दौरान अस्पताल में मौजूद ही नहीं थीं और केवल फोन पर सलाह दे रही थीं। “हम चीख-चीखकर गुहार लगाते रहे, लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ा,” देवराजू ने बताया।

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13 अक्टूबर को स्थिति इतनी विपरीत हो गई कि मरीज को आईसीयू में शिफ्ट करना पड़ा। आपातकालीन सर्जरी के दौरान खुलासा हुआ कि पहली सर्जरी में आंत में छेद हो गया था, जो पूरे छह दिनों तक नजरअंदाज रहा। इससे पेट में भयानक संक्रमण (पेरिटोनाइटिस) फैल गया, जो सेप्सिस में बदल गया। यह संक्रमण धीरे-धीरे फेफड़ों, किडनी और लीवर जैसे अंगों को लीलता चला गया। 17 अक्टूबर को दूसरी सर्जरी की कोशिश की गई, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। अंततः, 24 अक्टूबर 2025 को मरीज ने दम तोड़ दिया।

पूर्व सैनिक का गुस्सा: ‘ये हत्या है, गलती नहीं!’

देश की सेवा करने वाले पूर्व सैनिक देवराजू की आंखों में आंसू हैं, लेकिन आवाज में आक्रोश। उन्होंने कहा, “ये सिर्फ मेडिकल एरर नहीं, बल्कि एक परिवार की बर्बादी है। मेरी पत्नी दर्द से तड़पती रहीं, और डॉक्टर फोन पर ‘सब ठीक’ कहते रहे।” 26 अक्टूबर को देवेंद्र नगर थाने में शिकायत दर्ज कराई गई है। इसमें एफआईआर, मेडिकल रिकॉर्ड, सीसीटीवी फुटेज और जांच रिपोर्ट जब्त करने की मांग है। साथ ही, राज्य चिकित्सा परिषद से डॉ. खेमका और अस्पताल के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की अपील की गई है।

अस्पताल की चुप्पी, पुराने विवादों का साया

श्री नारायणा हॉस्पिटल प्रशासन ने अब तक इस मामले पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। फोन पर संपर्क करने पर कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिला। हालांकि, यह पहला मामला नहीं है। 2020 में इसी अस्पताल पर एक युवक की मौत के बाद शव को 14 घंटे आईसीयू में रखने और अवैध वसूली के आरोप लगे थे। 2024 में भी नारायणा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल (लालपुर) पर ऑक्सीजन सप्लाई में लापरवाही का केस सामने आया था। क्या ये संयोग हैं या सिस्टम की खामी? सवाल वाजिब है।

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क्या कहते हैं विशेषज्ञ?

मेडिकल एक्सपर्ट्स के मुताबिक, हिस्टेरेक्टॉमी जैसी सर्जरी में आंत को नुकसान (बाउल इंजरी) का खतरा 1-2% होता है, लेकिन तुरंत जांच से इसे पकड़ा जा सकता है। डॉ. एके सिंह (रायपुर के एक वरिष्ठ सर्जन) ने 24.in से कहा, “पेट दर्द और सूजन के लक्षणों पर सीटी स्कैन जरूरी होता है। छह दिन की देरी घातक है।” राज्य चिकित्सा विभाग ने मामले की जांच शुरू करने का संकेत दिया है।

यह घटना रायपुर के मेडिकल सर्कल में हलचल मचा रही है। पूर्व सैनिक संगठन भी देवराजू के साथ खड़े होने की बात कर रहे हैं। क्या न्याय मिलेगा? परिवार इंतजार में है।

संपर्क पूर्व सैनिक एस. देवराजू  +91 9039073700

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