चिरमिरी। कोलियरी क्षेत्र में बिना अनुमति चल रहे अवैध ईंट भट्टे अब पर्यावरण और जन–स्वास्थ्य दोनों के लिए गंभीर खतरा बन चुके हैं। चिरमिरी ओपन कास्ट माइंस से लेकर मौहारी डांड़ तक दर्जनों अवैध भट्टे संचालित हैं, जहाँ खदानों से चोरी हुआ कोयला भारी मात्रा में जलाया जा रहा है।
भट्टों की संरचना इस तरह बनाई जाती है कि अंदर कम ऑक्सीजन पहुँचती है—कोयले और कच्ची ईंटों की कई मोटी–पतली परतें लगाकर पूरे भट्टे को मिट्टी से पूरी तरह सील कर दिया जाता है। इस प्रक्रिया में जलता हुआ कोयला कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसी जानलेवा गैसें उत्पन्न करता है।
इसके साथ सीसा, पारद और आर्सेनिक जैसे भारी धातुओं वाला धुआँ वातावरण में फैलकर पूरे क्षेत्र को खतरनाक रूप से प्रदूषित कर रहा है।
सर्दियों में हवा की गति कम होने से प्रदूषण और भी घातक हो जाता है। मौहारी डांड़ क्षेत्र में एक मितानिन के अचानक गंभीर रूप से बीमार होने के बाद लोगों में दहशत फैल गई है। डॉक्टर भी अब तक उनकी बीमारी की स्पष्ट पहचान नहीं कर पाए हैं।
सबसे चिंताजनक तथ्य यह है कि जब इस अवैध गतिविधि और संभावित स्वास्थ्य खतरे को लेकर RTI दायर की गई, तो तहसील कार्यालय ने जानकारी उपलब्ध कराने से इनकार कर दिया। विभाग ने न तो किसी कार्रवाई का रिकॉर्ड दिया और न ही कोई स्पष्ट जवाब—जिससे प्रशासन की भूमिका पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।
गौरतलब है कि कानून के अनुसार अवैध ईंट भट्टों की पहचान, निरीक्षण, बंद कराना, सील करना, और उनकी जानकारी खनिज व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को भेजना तहसीलदार की जिम्मेदारी होती है। लेकिन RTI के जवाब में तहसीलदार चिरमिरी ने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि किसी भी विभागीय कार्रवाई का रिकॉर्ड कार्यालय में उपलब्ध नहीं है। यह जवाब उनकी कानूनी जिम्मेदारियों और वास्तविक कार्यवाही के बीच गंभीर असंगति को दर्शाता है।

रिपोर्ट — अंजन मुखर्जी, छोटा बाज़ार, चिरमिरी
