
रतलाम। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, मालवा प्रांत (अभाविप) के 58वें प्रांत अधिवेशन का उद्घाटन मध्यप्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा किया गया। कार्यक्रम में अभाविप के राष्ट्रीय महामंत्री डॉ. वीरेंद्र सोलंकी विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।
अधिवेशन में प्रांत अध्यक्ष डॉ. सौरभ पारीक, प्रांत मंत्री श्री दर्शन कहार, अधिवेशन स्वागत समिति के अध्यक्ष श्री प्रवीण सोनी व सचिव श्री राजमल सूर्या, रतलाम नगर की अध्यक्ष सुश्री जयश्री राठौर एवं नगर मंत्री अरुण जाट सहित अनेक पदाधिकारी एवं विभिन्न जिलों से आए 500 से अधिक कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
यह अधिवेशन दिनांक 28 से 30 तक रतलाम में संपन्न होगा, जिसमें कई महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित होंगे, शोभायात्रा होगी, खुले मंच से छात्र नेताओं के भाषण होंगे तथा दो भाषण सत्र आयोजित होंगे।
उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि अभाविप का गठन देश के युवाओं को राष्ट्रवादी मंच पर खड़ा करने के लिए 1949 में हुआ था, जो केवल राष्ट्रभक्ति के लिए कार्य करती है।उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया की आंखें केवल विद्यार्थी परिषद की तरफ हैं।
अभाविप राष्ट्रवादी संगठन संघ के 100 वर्ष के साथ समाज की एकता के लिए कार्य कर रहा है।अभाविप युवाओं को मान-सम्मान दिलाती है, अनुशासन के साथ युवाओं में देशभक्ति का भाव जागृत करती है।
कॉलेज जीवन में दैनिक शिक्षा के साथ राष्ट्रभक्ति का भाव जगाना और रचनात्मक कार्यक्रमों के माध्यम से कार्यकर्ता का निर्माण केवल अभाविप करती है।
सही बात को सामने लाना और गलत बात का विरोध करना—इसकी ट्रेनिंग केवल विद्यार्थी परिषद में मिलती है। विद्यार्थी परिषद भारत के युवाओं को सही दिशा में ले जा रही है। उन्होंने सुभाष चंद्र बोस, भगत सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद का उदाहरण देते हुए युवाओं की भूमिका बताई।
उन्होंने आरजीपीवी को तीन हिस्सों में बांटने की भी घोषणा की एवं सभी कॉलेजों के अंदर रिक्त नियुक्तियों को भरने की घोषणा भी की।
अभाविप के राष्ट्रीय महामंत्री वीरेंद्र सोलंकी ने कहा कि यह बड़ा दिव्य समय है—गुरु तेग बहादुर जी ने धर्म बचाने के लिए अपनी बलि दी, उनका 350वां वर्ष चल रहा है; भगवान बिरसा मुंडा का 150वां वर्ष चल रहा है; रानी अवक्का की 500वीं जयंती है; वंदे मातरम् की 150वीं वर्षगांठ है तथा संघ शताब्दी वर्ष में है।इस अधिवेशन से कार्यकर्ता जीवन-दृष्टि लेकर अभाविप के झंडे को हर कैंपस तक ले जाएंगे।
अभाविप की स्थापना 1949 में देश को पुनः गौरवशाली बनाने के जुनून के साथ हुई। विद्यार्थी परिषद ही है जिसने वोटिंग की आयु 18 वर्ष करने की बात कही। अभाविप ने राष्ट्र के सामने आने वाले चैलेंज को जवाब देने का काम किया। 1966 में जब भारत को एकात्मता के साथ जोड़ना था, तब विद्यार्थी परिषद ने सील (SEIL) प्रकल्प को बनाया।
विद्यार्थी परिषद ने हमेशा विद्यार्थियों को दिशा देने का कार्य किया। उन्होंने बताया कि आपातकाल में भी विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं ने जेल में मार खाई, परंतु लोकतंत्र को जीवित रखने का कार्य किया। विद्यार्थी परिषद 1979 से भारत में घुसपैठ की बात करती आई है, जिसके लिए शहीद यात्रा दिल्ली से गुवाहाटी तक निकाली गई।
विद्यार्थी परिषद ने 2025 में भी प्रस्ताव के माध्यम से मांग की है कि चीन बॉर्डर पर जहां फेंसिंग नहीं है, वहां तत्काल फेंसिंग कराई जाए। विद्यार्थी परिषद ‘नेशन फर्स्ट’ को लेकर विद्यार्थियों के बीच कार्य करती है। जहां कश्मीर में तिरंगा जलाया गया था, वहीं विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं ने लाल चौक पर तिरंगा फहराया। विद्यार्थी परिषद व्यक्तित्व निर्माण का कार्य पिछले 77 वर्षों से कर रही है और विद्यार्थी परिषद देश के हर एक कोने में है।
विद्यार्थी परिषद मल्टीडायमेंशनल बन चुका है। विद्यार्थी परिषद केवल बहनों को न्याय दिलाने की बात नहीं करता, बल्कि उन्हें शारीरिक एवं मानसिक रूप से मजबूत करने का कार्य भी करता है। मिशन साहसी के माध्यम से सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग देता है।उन्होंने बताया कि मध्य प्रदेश का लिटरेसी रेट बढ़ रहा है क्योंकि नए महाविद्यालय खुल रहे हैं और एमपी का युवा पेटेंट लेने वाला युवा बन रहा है।
उन्होंने अंत में कहा कि हम सबको राष्ट्र को आगे बढ़ाने के लिए कदम से कदम मिलाकर चलना होगा।

