‘पुना मारगेम’ के तहत 210 माओवादियों का आत्मसमर्पण — बस्तर के विकास की दिशा में ऐतिहासिक कदम
रायपुर, 18 अक्टूबर 2025।
छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री एवं गृह मंत्री विजय शर्मा ने कहा कि बस्तर अब लाल आतंक से मुक्त होकर विकास की राह पर तेजी से आगे बढ़ रहा है। उन्होंने 17 अक्टूबर को बस्तर में आयोजित ‘पुना मारगेम – पुनर्वास से पुनर्जीवन’ कार्यक्रम में दण्डकारण्य के 210 माओवादियों के आत्मसमर्पण को ऐतिहासिक बताया।
श्री शर्मा ने कहा कि यह केवल सरकार की नहीं बल्कि बस्तर के आम लोगों की जीत है, जो वर्षों से शांति और विकास की राह देख रहे थे। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के मार्गदर्शन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व गृह मंत्री अमित शाह के आह्वान पर राज्य में एक व्यापक नक्सल उन्मूलन नीति लागू की गई है, जिसके परिणाम अब दिखाई दे रहे हैं।
उन्होंने बताया कि सरकार का लक्ष्य 31 मार्च 2026 तक सशस्त्र नक्सलवाद का पूर्ण उन्मूलन है। इस दिशा में सुरक्षा बलों, प्रशासन और स्थानीय समाज के संयुक्त प्रयासों से लगातार सफलता मिल रही है।
‘पुना मारगेम’ के साथ-साथ इलवद ग्राम योजना, लोन वर्राटू योजना और पीएम जनमन योजना ने बस्तर के दूरस्थ इलाकों में विकास की नई उम्मीद जगाई है। पुनर्वास नीति के तहत मुख्यधारा में लौटने वालों को आवास, आजीविका, स्वरोजगार और शिक्षा से जोड़ने का काम किया जा रहा है।
इस आत्मसमर्पण में एक सेंट्रल कमेटी सदस्य, चार डीकेएसजेडसी सदस्य, 21 डिविजनल कमेटी सदस्य सहित कई वरिष्ठ माओवादी शामिल थे। उन्होंने 153 आधुनिक हथियार — जिनमें AK-47, SLR, INSAS और LMG शामिल हैं — समर्पित किए। प्रमुख आत्मसमर्पित माओवादियों में सीसीएम रूपेश उर्फ सतीश, डीकेएसजेडसी सदस्य भास्कर उर्फ राजमन मांडवी, रनीता, राजू सलाम, धन्नू वेत्ती उर्फ संतू और रतन एलम शामिल हैं।
उपमुख्यमंत्री ने कहा, “यह पहली बार है जब नक्सल विरोधी अभियान के इतिहास में इतनी बड़ी संख्या में वरिष्ठ माओवादी एक साथ मुख्यधारा में लौटे हैं। अब बस्तर शांति, विश्वास और विकास की नई सुबह की ओर बढ़ रहा है।”