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रतलाम/अंतरराज्यीय साइबर गिरोह पर पुलिस की निर्णायक कार्रवाई : 1.34 करोड़ की ठगी का पर्दाफाश,सेवानिवृत्त प्रोफेसर को एक माह तक डिजिटल कैद में

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रतलाम,30 दिसंबर देश में बढ़ते डिजिटल अरेस्ट साइबर फ्रॉड के मामलों के बीच रतलाम पुलिस ने अब तक की सबसे जटिल और संगठित साइबर ठगी में से एक का पदार्फाश किया है। यह मामला केवल ठगी नहीं, बल्कि मानसिक यातना, डिजिटल अरेस्ट के अंतरराष्ट्रीय स्तर तक फैले जाल का उदाहरण बनकर सामने आया है।

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रतलाम के एक सेवानिवृत्त प्रोफेसर को मुंबई क्राइम ब्रांच और न्यायालय का डर दिखाकर 1 करोड़ 34 लाख 50 हजार रुपये की ठगी की गई। यह रकम देश के चार राज्यों में फैले खातों से होती हुई क्रिप्टो करेंसी नेटवर्क से ठगी गई है। इसका खुलासा करते हुए एसपी अमित कुमार से पत्रकार वार्ता में जानकारी दी

एसपी ने बताया कि 15 नवंबर 2025 को फरियादी के मोबाइल पर कॉल आया। कॉलर ने खुद को मुंबई क्राइम ब्रांच अधिकारी बताया। शुरूआती बातचीत बेहद प्रोफेशनल और कानूनी शब्दावली से भरी थी, जिससे फरियादी को शक न हो।

आरोपी ने कहा कि फरियादी के नाम से ही जारी सिम का उपयोग बड़े साइबर फ्रॉड में हुआ है। मुंबई के केनरा बैंक में 247 करोड़ रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग हुई है। बैंक खाते में फरियादी के आधार और केवाईसी दस्तावेज लगे हैं। जब फरियादी ने इन आरोपों से इनकार किया, तो गिरफ्तारी वारंट, सीबीआई जांच और जेल भेजने की धमकी दी गई। कार्रवाई का डर बताकर आरोपियों ने फरियादी से ही बातों में उनके सारे अकाउंट्स कनेडा में नौकरी करने वाले बेटे की जानकारी ले ली।

इस बीच लगातार धमकाते रहे कि उनकी हर काल, हर मैसेज टेप हो रही है। किसी को कुछ भी बताया तो उनके बेटे को गोली मार दी जाएगी और वह कभी लौट नहीं पाएगा। फरियादी इतना डर गए कि आरोपी की हर बात मानने लगे। आरोपियों ने फरियादी को व्हाट्सएप कॉल पर जोड़कर एपीके एप इंस्टॉल करवाया।

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नकली कोर्ट रूम और गवाह, 28 दिन अरेस्ट

आरोपियों का नेटवर्क इतना बड़ा है कि उन्होंने वीडियो काल करके नकली कोर्ट रूम, जज, वकील और गवाहों के कई दृश्य दिखाए। फरियादी को लगातार यही कहा गया कि कॉल कटते ही पुलिस उनके घर पहुंच जाएगी। बेटे को इंटरपोल के जरिए गिरफ्तार कर मार दिया जाएगा। फरियादी पूरी तरह टूट गए। आरोपी 15 नवंबर से 12 दिसंबर यानी 28 दिन तक अरेस्ट की बात कहकर डराते रहे।
इस दौरान फरियादी के बैंक खातों से 1 करोड़ 34 लाख 50 हजार रुपए एँठ लिए।

बेटा आया सामने तो खुली पोल

एसपी ने बताया कि बेटे के पास लगातार बैंक अकाउंट से पैसे ट्रांसफर की जानकारी जा रही थी और वह भी पिता से पूछ रहा था। बावजूद उन्होंने डर कर उसे कुछ नहीं बताया। इसपर बेटा खुद ही जब भारत और रतलाम उनके घर पंहुचा तो जाकर माता पिता को अपने साथ हो रही धोखाधड़ी का एहसास हुआ। इसके बाद बेटे ने ई-एफआईआर उसी रात अपने फोन से दर्ज की। रतलाम पुलिस ने इसे गंभीरता से लेते हुए इसपर त्वरित एक्शन शुरु कर दिया।

4 राज्यों से आरोपी गिरफ्तार

एसपी ने बताया कि एएसपी राकेश खाखा, विवेक कुमार लाल, सीएसपी के नेतृत्व में एसआईटी गठित की गई। टीम ने जांच शुरु की तो पहले जबलपुर के आरोपियों अशोक पिता राधेश्याम जायसवाल 61 साल, सनी पिता सोनू, 34, सांराश उर्फ सोनू पिता योगेंद्र तिवारी 18, एक नाबालिग आरोपी तक पंहुचे।

नीमच से पवन पिता कैलाश कुमावत 23 को भी गिरफ्तार किया गया। गोरखपुर से आरोपी अमरेंद्र कुमार मौर्य 34 को गिरफ्तार किया गया। जामनगर गुजरात से आरिफ, हमीद, शाहिद कुरैशी और सादिक हसन को गिरफ्तार किया गया। बिहार से भी 2 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। जबकि आसम सहित अन्य राज्यों से कई अन्य आरोपियों को और गिरफ्तार किया जाएगा।

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कश्मीर, गुजरात, आसम, बिहार और विदेश तक जुड़े तार

एसपी ने बताया कि दरअसल इस मामले में चार अलग-अलग टीम बनकर काम कर रहे लोगों की चेन क्रेक की गई है। टेलीग्राम और वाट्सएप पर कुछ आरोपी फर्जी सिम, फर्जी नाम से अकाउंट्स बनाकर फ्लेश करते हैं। इन्हें अन्य आरोपी खरीदते हैं और इन्हीं के माध्यम से एपीके एप डाउनलोड करवाकर राशि लेते हैं। यहां से राशि सूरत में आनगड़िया के माध्यम से क्रिप्टो करेंसी के माध्यम से कंबोडिया तक जाती है। यहीं से इस मामले में भी राशि ली गई। इसमें कश्मीर, गुजरात, बिहार, आसम, मप्र के चेन में 11 आरोपी गिरफ्तार किए जा चुके है, जबकि कई अन्य बाकी हैं।

एक आरोपी का एनजीओ, दूसरों ने बनाया नकली कोर्ट
एसपी ने बताया कि इस मामले में बिहार के आरोपी आसम पंहुचे थे। यहां आरोपियों ने नकली कोर्ट रूम वाला पूरा सेटअप किया था। गोरखपुर से गिरफ्तार अमरेंद्र कुमार का एनजीओ आईटच नाम से संचालित होता है। इसमें 2 करोड़ से ज्यादा रुपए पहले ही पाए गए हैं।

फरियादी को डराकर अमरेंद्र को खाते में 50 लाख का लेन देन हुआ था। जबलपुर के आरोपियों के खातों में 14 लाख रुपए प्राप्त किए गए थे। नीमच के आरोपी के खाते में भी 14 लाख। यहां से गुजरात के आरोपियों ने राशि का उपयोग कर क्रिप्टो करेंसी खरीद कर कन्वर्ट किया।

एसपी ने बताया कि मामले में अब तक 11.40 लाख रुपये फ्रीज कराए जा चुके हैं। परंतु बाकि राशि इनके द्वारा निकाल ली गई है। इस चेन में कश्मीर का भी आरोपी शामिल है, जिसकी गिरफ्तारी होनी है जो एक लड़की के कहने पर काम करता था। आसम से भी अन्य आरोपियों को गिरफ्तार किया जाना बाकी है

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केंद्रीय एजेंसियां सतर्क, जारी रहेगी जांच
एसपी ने बताया कि मामले के तार अंतर राष्ट्रयी स्तर तक जुड़े हैं। ऐेसे में इसकी जांच अभी जारी रहेगी। केंद्रीय जांच एजेंसियां भी सतर्क हो गई हैं और जांच में समन्वय भी होगा। पूरी आशंका है कि इन आरोपियों द्वारा अन्य लोगों को भी ठगी का शिकार बनाया गया हो। इसकी जानकारी आगे जांच और पूछताछ में ही लग सकेगी।

एसपी ने आम लोगों से भी अपील की है कि किसी भी तरह के भ्रामक फोन आने पर वे बिना डरें अपने परिजनों और पुलिस को तत्काल सूचित करें। एसपी ने बताया कि कोई भी पुलिस, फोस कभी किसी को भी फोन पर अरेस्ट नहीं करती है। ऐसे में लोग इन ठगों के ­ाांस में बिल्कुल न आएं।

रतलाम सायबर सेल की प्रमुख भूमिका

इस जटिल अंतरराज्यीय साइबर अपराध के खुलासे में निरीक्षक अमित कोरी, निरीक्षक शंकर सिंह चौहान, प्रवीण वास्कले, जीवन बरिया, प्र. आर. हिम्मत सिंह, मनमोहन शर्मा, लक्ष्मीनारायण सूर्यवंशी, आरक्षक राहुल पाटीदार, तुषार सिसोदिया, मोर सिंह, विपुल भावसार, मयंक व्यास, आरक्षक पावन जाट, आरक्षक सुनील एवं आरक्षक संजय कुशवाहा (थाना दीनदयाल नगर) की महत्वपूर्ण भूमिका रही

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