छत्तीसगढ़ संयुक्त किसान मोर्चा ने राज्य की विष्णु देव साय सरकार पर लोकतंत्र की हत्या और जन आंदोलनों को कुचलने का गंभीर आरोप लगाया है। राजधानी रायपुर स्थित छत्तीसगढ़ी भवन, हांडीपारा में आयोजित प्रेस वार्ता में किसान संगठनों और राज्य आंदोलन से जुड़े प्रतिनिधियों ने कहा कि तमनार, तुमगांव और खैरागढ़ की घटनाएं आपातकाल जैसी कार्यशैली की याद दिलाती हैं।
किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष एवं सर्व छत्तीसगढ़िया किसान समाज के संयोजक मंडल के वरिष्ठ नेता अनिल दुबे ने कहा कि छत्तीसगढ़ में अब जल-जंगल-जमीन की बात करना अपराध बना दिया गया है। उनका आरोप है कि रायगढ़ जिले के तमनार में आंदोलन को कुचलने के लिए प्रशासन, पुलिस और उद्योग समूहों के बीच सांठगांठ के तहत भीड़ पर ट्रक चढ़ाने जैसी कार्रवाई की गई, जिसमें एक छत्तीसगढ़िया की मौत हो गई। इस घटना से पूरे प्रदेश में आक्रोश फैल गया है।
उन्होंने आगे आरोप लगाया कि 28 नवंबर 2025 को महासमुंद जिले के तुमगांव में अवैध करणी कृपा पावर प्राइवेट लिमिटेड के हित में प्रशासनिक अधिकारियों ने संगठित तरीके से कार्रवाई करते हुए “छत्तीसगढ़ महतारी को बंदी” बनाया। किसान मोर्चा का दावा है कि इन घटनाओं के पीछे सरकार की सुनियोजित नीति है, जिसका उद्देश्य उद्योगपतियों के लाभ के लिए पूरे क्षेत्र को अशांत करना है।
खैरागढ़, तुमगांव और तमनार की घटनाओं का जिक्र करते हुए किसान संगठनों ने कहा कि सरकार उद्योगपतियों के “गोद में बैठकर” जनभावनाओं को कुचल रही है। मोर्चा ने इन आंदोलनों को पूर्ण समर्थन देते हुए विष्णु देव साय सरकार से तत्काल इस्तीफे की मांग की है। साथ ही, अनिल दुबे ने बताया कि इस पूरे मामले में प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर राज्य सरकार को हटाने की मांग भी की गई है।
प्रेस वार्ता में किसान संगठनों ने चेतावनी दी कि यदि दमनात्मक नीतियां नहीं रुकीं तो राज्यव्यापी आंदोलन और तेज किया जाएगा।
— जागेश्वर प्रसाद
छत्तीसगढ़ राज्य संग्राम सेनानी
प्रदेश प्रवक्ता

