नई दिल्ली। अरावली पहाड़ियों से जुड़े अपने पूर्व आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल रोक लगा दी है। अदालत ने स्पष्ट किया कि जब तक नई विशेषज्ञ समिति अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं कर देती, तब तक पहले के फैसले को लागू नहीं किया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अरावली पहाड़ियों की परिभाषा और उनके संरक्षण से जुड़े मुद्दों पर कई तरह की व्याख्याएं सामने आ रही हैं, जिससे भ्रम की स्थिति बनी है। इसी को देखते हुए अदालत ने एक नई उच्च स्तरीय विशेषज्ञ समिति गठित करने का निर्देश दिया है, जो पर्यावरणीय, भू-वैज्ञानिक और पारिस्थितिक पहलुओं का विस्तृत अध्ययन कर अपनी सिफारिशें देगी।
गौरतलब है कि इससे पहले दिए गए आदेश में अरावली पहाड़ियों की एक नई परिभाषा तय की गई थी, जिस पर पर्यावरणविदों और सामाजिक संगठनों ने गंभीर आपत्तियां जताई थीं। आशंका जताई जा रही थी कि उस परिभाषा के लागू होने से अरावली के कई हिस्से संरक्षण के दायरे से बाहर हो सकते हैं और खनन जैसी गतिविधियों को बढ़ावा मिल सकता है।
अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि नई समिति की रिपोर्ट आने तक अरावली क्षेत्र में किसी भी तरह की विवादित गतिविधियों को लेकर यथास्थिति बनाए रखी जाएगी। केंद्र सरकार और संबंधित राज्य सरकारों से भी इस मामले में अपने-अपने पक्ष और सुझाव प्रस्तुत करने को कहा गया है।
सुप्रीम कोर्ट के इस कदम को अरावली पहाड़ियों के संरक्षण की दिशा में एक अहम हस्तक्षेप माना जा रहा है, जिससे भविष्य में पर्यावरण संतुलन और प्राकृतिक विरासत की रक्षा से जुड़े निर्णयों पर असर पड़ेगा।

