मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल की चुप्पी – चिरमिरी में पानी की समस्या का जिम्मेदार कौन?
पूर्व विधायक विनय जायसवाल ने चिरमिरी को पेयजल संकट से निजात दिलाने के लिए क्षेत्रीय प्रबंधक के बंगले का नल काटकर सनसनी मचा दी थी। उनका संदेश था—जब जनता प्यास से तड़प रही है, तो जिम्मेदार लोग कैसे सुख-चैन से पानी पी सकते हैं?
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प्रबंधक के समर्थकों ने इसे हिमाकत बताकर विवाद खड़ा किया, मगर यह जनता की आवाज को बुलंद करने का साहसिक प्रयास था। और ऐसा भी नहीं है कि प्रबंधक का नल काटकर उन्हें प्यासे छोड़ देते। नल कटकर एक संदेश देने की कोशिश की गई थी कि पानी की जरूरत सिर्फ आपको ही नहीं है क्षेत्र की जनता को भी है।
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श्याम बिहारी जायसवाल की खामोशी: प्रबंधन और निगम पर दबाव क्यों गायब जबकि ट्रिपल इंजन की सरकार है।
वर्तमान विधायक और स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल के कार्यकाल में चिरमिरी का जल संकट चरम पर है। विनय जायसवाल की तरह प्रबंधन और अधिकारियों पर दबाव डालने के बजाय, उनकी चुप्पी जनता को अखर रही है। बीजेपी शासित चिरमिरी नगर निगम होने के बावजूद पानी की सप्लाई हफ्तों तक ठप है। आखिर मंत्री जी नगर निगम और प्रबंधन को जवाबदेह क्यों नहीं बना रहे?
बीजेपी शासित नगर निगम की विफलता: जनता क्यों तड़प रही?
बीजेपी के नेतृत्व चिरमिरी नगर निगम की पूरी आबादी को नियमित और शुद्ध पेयजल देने में पूरी तरह नाकाम रहा है।
टैंकरों की कमी और प्राकृतिक स्रोतों पर लंबी कतारें जनता की परेशानी बढ़ा रही हैं।
बीजेपी शासन में यह नाकामी सवाल उठाती है—जिम्मेदारी कौन लेगा? एक्सपर्ट का कहना है कि खदानों से बहने वाला पानी अगर संग्रहित हो तो चिरमिरी की प्यास बुझ सकती है, लेकिन भ्रष्टाचार और अव्यवस्था ने हर समाधान को बेकार कर दिया है।
विनय जायसवाल ने जनता की पुकार सुनकर विभागों पर दबाव बनाया था, लेकिन श्याम बिहारी जायसवाल की उदासीनता से जनता हताश है।
छोटी बाजार और गोदरीपारा के लोग गंदा पानी पीने को मजबूर हैं। वहीं पानी की समस्या पूरी चिरमिरी में बनी हुई है।
हालांकि श्याम बिहारी जायसवाल के प्रयासों से अमृत मिशन के तहत चिरमिरी के लिए 185 करोड़ रुपये की योजना को हाल ही में मंजूरी मिली है,जिसके तहत हर घर तक पाइपलाइन से शुद्ध पेयजल पहुंचाने का वादा है। लेकिन इसे पूरा होने में ही सालों लग सकते हैं।
लेकिन जनता के मन में डर है—क्या यह योजना जल संकट का स्थायी समाधान लाएगी,या भ्रष्टाचार की भेंट चढ़कर कागजों में दफन हो जाएगी?
लोग पूछ रहे हैं—185 करोड़ की योजना धरातल पर ईमानदारी से ही उतरेगी न, भ्रष्टाचार की भेंट तो नहीं चढ़ जायेगी? क्योंकि चिरमिरी का जल संकट नेतृत्व की नाकामी, प्रशासनिक लापरवाही और भ्रष्टाचार का मिला-जुला परिणाम है।
इस बीच लोगों को आज पूर्व विधायक विनय जायसवाल की याद खूब आ रही है…
पूर्व विधायक विनय जायसवाल का ‘नल काटो आंदोलन’ जनता की आवाज उठाने का प्रतीक बन गया है, जबकि वर्तमान विधायक और मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल की चुप्पी पर लोग नाराज हैं।
आज की स्थिति ठीक उलट है—अब विधायक की चुप्पी ने जनता को हताश कर दिया है।
185 करोड़ की योजना से उम्मीदें जरूर हैं, लेकिन सवाल अब भी यही है –पानी की समस्या का असली जिम्मेदार कौन?
चिरमिरी क्षेत्र के जागरूक नागरिक क्या कहते हैं…
हमारे शहर के पास नया एवं पुराना दो फिल्टर प्लांट हैं, साथ ही नगर निगम के केराडोल का बोर भी है। आश्चर्य है कि साधन और संसाधन दोनों की पूर्ण उपलब्धता के बावजूद भी चिरमिरी में जल संकट मात्र पीएचई विभाग की नाकामयाबी और नगर निगम के अक्षमता के कारण है।
जब हसदेव में स्थापित नए प्लांट के लिए कनेक्टटेड एनिकेट में समस्या आयी तो फिर आरूणी बाँध से संचालित पुराने फिल्टर प्लांट का उपयोग कर शहर को क्यों पानी नहीं दे पा रहे हैं, ये पूरी तरह सिस्टम में बैठे अधिकारी एवं जन प्रतिनिधियों की नाकामी है। जनता परेशान है, बरसात के पानी से शौचालय का उपयोग और नहाने के लिए 2-2 दिन का इंतजार कर रही है, प्राकृतिक तुर्रा आदि के सहारे दैनिक क्रिया के लिए मजबूर हो रहे हैं, तो ऐसी स्थिति में 20 दिनों बाद भी ये लोग अपने अजूबे प्रयास में लगे हैं, वाकेही गजब है। जनता निश्चय ही इसका माकूल जवाब देगी।
{के डोमारू रेड्डी} पूर्व महापौर चिरमिरी
चिरिमिरी न पा नि ने ऐसा पहली बार हुआ कि बरसात के मौसम में भी लोगो को 5- 6 दिन इंतजार करना पड़ रहा पानी के लिए वो भी बमुश्किल 10 या 15 मिनट सप्लाई होती है । साथ ही इतना दूषित जल प्रदान किया जा रहा की निगम के अधिकारी , राजनेता आदि उस जल से अपना हाथ तक धोना पसंद न करे । अब हर किसी के पास अपना निजी फिल्टर यूनिट तो नही । दूषित जल की वजह से तमाम इंफेक्शन और बीमारियां तेजी से फैल रही । शासन व प्रशासन को जल प्रदाय सम्वन्धी खामियों का त्वरित निदान करना चाहिए ।
सुनील कुमार {बड़ा बाजार चिरमिरी} स्वतंत्र पत्रकार/राजनीतिक विश्लेषक।